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नई दिल्ली/ निर्यात में दोबारा से बढ़त और घरेलू स्तर पर मजबूत मांग होने के कारण भारत की घरेलू कॉटन यार्न इंडस्ट्री चालू वित्त वर्ष 7-9 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। यह पिछले वित्त वर्ष की वृ(ि दर 2-4 प्रतिशत से अधिक है। यह जानकारी क्रिसिल की रिपोर्ट में दी गई। रिपोर्ट में बताया गया कि वॉल्यूम में बढत की वजह यार्न की कीमतों में मामूली वृ(ि होना है।
पिछले वित्त वर्ष में सुधार के बाद ऑपरेटिंग मार्जिन में इस वित्त वर्ष में 50-100 आधार अंकांे की और वृ(ि होने की उम्मीद है, जिसके कारण भारतीय कपास निगम ;सीसीआईद्ध के माध्यम से कॉटन की बेहतर उपलब्धता है। यह रिपोर्ट 70 कॉटन यार्न स्पिनरों के विश्लेषण पर आधारित है। इण्डस्ट्री की कुल आय में इन स्पिनरों की हिस्सेदारी 35 से 40 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 2026 में आय में वृ(ि का मुख्य कारण चीन को यार्न निर्यात में उछाल आना होगा। इण्डस्ट्री के राजस्व में निर्यात का योगदान करीब 30 प्रतिशत है, जिसमें से चीन का योगदान 14 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 2025 में चीन में अधिक कॉटन के उत्पादन के कारण भारत से चीन को यार्न निर्यात में गिरावट आई थी। इसके परिणामस्वरूप भारत के कुल कॉटन यार्न निर्यात में 5-7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में यह स्थिति उलटने की संभावना है, क्योंकि चीन यार्न निर्यात में 9-11 प्रतिशत की वृ(ि हो सकती है। क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक गौतम शाही ने कहा कि इससे भारतीय स्पिनरों को फायदा होने की संभावना है, क्योंकि उन्हें चालू कॉटन सीजन में स्थिर घरेलू कॉटन उत्पादन का लाभ मिलेगा और वे अपनी बाजार हिस्सेदारी फिर से हासिल कर लेंगे रिपोर्ट के अनुसार 2025 में 100-150 बीपीएस की रिकवरी के बाद इस वित्त वर्ष में स्पिनरों के मुनाफे में 50-100 बीपीएस की वृ(ि होगी।
यूनिफॉर्म सीजन चरम पर: यार्न की कीमतें . . .
02-06-2025