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इचलकरंजी/ मई माह शुरू होते ही शादी समारोह जोरों पर शुरू हो जाने से ग्राहक कपड़े खरीदने के लिए कपड़ा बाजारों में उमड़ पड़े। हर छोटी-बड़ी दुकान, शोरूम और मॉल में ग्राहकों की भीड़ देखी जा रही है। हमेशा की तरह, नवीनतम डिजाइनों में दुल्हा- दुल्हन के परिधानों में साड़ी, ब्लेजर, सलवार कुर्ता, जीन्स, टी-शर्ट के साथ-साथ पारंपरिक परिधान जैसे धोती, फेटे और टोपी की भी अच्छी मांग है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष विवाह के शुभ मुहूर्त 8 जून तक है। तब तक ग्राहकों का जोर रहेगा। यदि कोई शुभ तिथि नहीं भी हो तो भी शुभ दिन देखकर विवाह समारोह जारी रहेंगे, ऐसा व्यापारियों का अनुभव हैं। इस दौरान ग्राहकी में थोड़ी कमी जरूर आएगी, लेकिन यह पूरी तरह बंद नहीं होगी।
यद्यपि अगले कुछ दिनों में विवाह समारोह कम होंगे, लेकिन नया शिक्षा वर्ष जल्द ही शुरू हो रहा है। वर्तमान में स्कूल यूनिफॉर्म का सीजन चरम पर है। अधिकांश यूनिफॉर्म स्कूलों और कॉलेजों की मांग के अनुसार बनाई गई हैं। रेडीमेड गारमेंट इंडस्ट्री में स्कूल यूनिफॉर्म तैयार करने का काम अभी भी चल रहा है। ऑर्डर के अनुसार जैसे ही यूनिफॉर्म तैयार होती हैं, उन्हें पहुंचाने का काम जोरों से चल रहा है।
इस वर्ष यार्न की कीमतों और बिजली, स्पेयर पार्ट्स और श्रमिकों के वेतन जैसी संबंधित लागतों में वृ(ि के कारण ग्रे कपड़े के साथ-साथ तैयार और सिले-सिलाए कपड़ों की कीमतों में 15 से 20 प्रतिशत की वृ(ि हुई है। मई 2025 के तीसरे सप्ताह के दौरान महाराष्ट्र में मध्यम धागे के कपास एमएसपी रुपये 6600 प्रति क्विंटल और लंबे धागे के कपास का एमएसपी रुपये 7000 प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। जबकि नवीनतम बाजार दरों के अनुसार, महाराष्ट्र में कपास की औसत कीमत रुपये 7350 प्रति क्विंटल है। सबसे कम बाजार मूल्य रुपये 7300 प्रति क्विंटल है। सबसे महंगा बाजार मूल्य 7400 रुपये प्रति क्विंटल है।
स्थानीय यार्न बाजार में सभी प्रकार के यार्न की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। ग्रे कपड़ों में पोपलीन, केम्ब्रिक, धोती की अच्छी मांग है। लेकिन यार्न की बढ़ती कीमतों के कारण पावरलूम उद्यमी काफी चिंतित हैं। यार्न की कीमत में इस वृ(ि का सबसे बड़ा प्रभाव ग्रे पोपलीन कपड़े पर पड़ता दिख रहा है। जनवरी 2025 से पोपलीन कपड़े का उत्पादन बढ़ रहा है, लेकिन इस महीने में यार्न की कीमतों में बढ़ोतरी से पोपलीन कपड़ा निर्माताओं को भारी नुकसान हो रहा है।
आगामी दिनों में मानसून ठीक समय पर शुरू होने का अनुमान विशेषज्ञों ने किया है। साथ ही साथ यह भी कहा कि इस साल संतोषजनक बारिश होगी और अनाज, कपास का उत्पादन ठीक रहेगा। मई के दूसरे सप्ताह से प्री-मानसून बारिश पहले ही शुरू हो चुकी है। विदर्भ के कुछ जिलों में भारी बारिश से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। कपड़ा व्यापारियों और वस्त्र निर्माण उद्यमियों ने इसी मानसून सीजन की तैयारी शुरू कर दी है। आमतौर पर बरसात के मौसम में, लोग विभिन्न प्रकार के कपड़े जैसे रेनकोट, रेन जैकेट, रेन पोंचो, वाटरप्रूफ बूट और कार्गाे पैंट पहनते हैं। इसके अलावा, हल्के, हवादार और सांस लेने योग्य कपड़े जैसे लिनन, मलमल, कॉटन और ऑर्गेना भी बरसात के मौसम में पहने जाते हैं।
बरसात के मौसम में कपड़ा उत्पादन और प्रसंस्करण में कठिनाइयां आएंगी, जिससे उत्पादन कम हो जाएगा। इन दिनों मंदी का दौर जरूर होता है। लेकिन इस दौरान कपड़ा निर्माता, रेडीमेड गारमेण्ट उद्यमी और कपड़ा व्यापारी त्योहारी सीजन की तैयारी में जुट जाते हैं। शायद यही समय तैयारी के लिए सही रहता है।
कपड़ा व्यापार और उद्योग क्षेत्र भारत और पाकिस्तान के बीच शीघ्र यु( विराम पर संतोष व्यक्त कर रहा है। अगर भारत और पाकिस्तान के बीच यु( लंबे समय तक चलता, तो महाराष्ट्र की टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर इसके बहुस्तरीय दुष्परिणाम हो सकते थे। भारत-पाक यु( की स्थिति महाराष्ट्र में विशेषकर इचलकरंजी, मालेगांव, टेक्स्टाइल इंडस्ट्री और नागपुर, अमरावती कपास पट्टी पर गहरा असर डाल सकती थी। उत्पादन, मांग, निर्यात और रोजगार हर स्तर पर चुनौती उत्पन्न होती। इस संकट से बचने हेतु सरकार, निर्यातक संघ और उद्योगपतियों को मिलकर रणनीति बनाकर नुकसान को न्यूनतम रखना जरुरी हो जाता। अच्छा हुआ कि यु( विराम की घोषणा हुई। अब यु( विराम के बाद, कपड़ा व्यापार की स्थिति में सुधार हो रहा है। सीमावर्ती कस्बों में जीवन सामान्य हो रहा है और व्यापार फिर से शुरू हो गया है। हालांकि, आधिकारिक व्यापार अभी भी सीमित है। अब धीरे धीरे सब ठीक होगा।
आम तौर पर बरसात के दिनों में मंदी का माहौल होता है। असल में पावरलूम उद्यमियों को ग्रे कपड़ों का उत्पादन करना पोसाता नहीं। फिर भी मार्केट के संपर्क में रहना, कारिगरों को देना इन कारणों से फैक्ट्रीयाँ चालू रखनी पड़ती हैं। लेकिन आजकल कभी भी किसी ना किसी कपड़े की माँग आ जाती हैं। विगत सप्ताह में पूरे महाराष्ट्र में भारी वर्षा होने संभावना रेड अलर्ट घोषित किया था। उसी के मुताबिक जमकर बारिश हुई। पूरा जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ था। अब स्थिति सामान्य हो रही है।