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भीलवाड़ा/ जिले में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए प्रशासन ने सख्त रुख अपनाने की तैयारी शुरू कर दी है। पर्यावरण संरक्षण कानूनों के उल्लंघन और प्रदूषण नियंत्रण मानकों का पालन न करने वाली औद्योगिक इकाइयों पर अब कड़ी कार्रवाई की जाएगी। विशेष तौर पर कपड़ा, प्रोसेस हाउस और डाईंग यूनिट्स पर निगरानी बढ़ा दी गई है, जो अधिक मात्रा में धुआं, रासायनिक गैसें और कणीय पदार्थ उत्सर्जित कर रही हैं।
सूत्रों के अनुसार, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल की टीम ने हाल ही में जिले की कई औद्योगिक इकाइयों का निरीक्षण किया, जिसमें पाया गया कि कई उद्योग मानक उत्सर्जन सीमा से अधिक प्रदूषण फैला रहे हैं। कुछ इकाइयों में ईंधन के रूप में कोयला और फर्नेस ऑयल का उपयोग किया जा रहा है, जिससे वायु गुणवत्ता पर गंभीर असर पड़ रहा है।
प्रशासन ने साफ संकेत दिए हैं कि जो उद्योग प्रदूषण नियंत्रण उपकरण नहीं लगाएंगे, उनकी इकाइयों को नोटिस जारी कर सील करने की कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, लगातार नियम तोड़ने वाली फैक्ट्रियों के बिजली-पानी कनेक्शन भी काटे जा सकते हैं।
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि भीलवाड़ा का औद्योगिक क्षेत्र, खासतौर पर टेक्सटाइल हब, वायु प्रदूषण में बड़ा योगदान दे रहा है। कपड़ा प्रोसेसिंग के दौरान निकलने वाला धुआं, डाई केमिकल्स से उठने वाली भाप और बायोमास ईंधन से पैदा होने वाले कण, हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर खतरनाक बना रहे हैं।
जिला प्रशासन ने उद्योग संचालकों को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन करें, स्वीकृत ईंधन का ही उपयोग करें और नियमित रूप से उत्सर्जन की जांच रिपोर्ट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौंपें। अधिकारियों का मानना है कि सख्त कदम उठाने से शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार होगा और औद्योगिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का संतुलन भी कायम रह सकेगा।