भीलवाड़ा/देशभर में ‘भारत का मैनचेस्टर’ कहे जाने वाले भीलवाड़ा का टेक्सटाइल उद्योग निरंतर प्रगति पथ पर है। यहाँ के वस्त्र, विशेषकर सूटिंग-शर्टिंग, यार्न, फैब्रिक्स और रेडीमेड गारमेंट्स की माँग न केवल घरेलू स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी लगातार बढ़ रही है।
निर्यात की स्थिति
भीलवाड़ा से हर वर्ष अरबों रुपये के परिधान और फैब्रिक अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, मिडिल ईस्ट और एशियाई देशों को निर्यात किए जाते हैं। बीएसएल, आरएसडब्ल्यूएम, नितिन स्पिनर्स, संगम इंडिया और एलएनजे ग्रुप जैसी प्रमुख कंपनियाँ यहाँ से बड़े पैमाने पर पोलिएस्टर विस्कोस सूटिंग, यार्न और रेडीमेड गारमेंट्स का निर्यात कर रही हैं। अनुमानित आँकड़ों के अनुसार, भीलवाड़ा का टेक्सटाइल निर्यात प्रतिवर्ष 15,000 करोड़ रुपये से अधिक का है, जो राजस्थान के कुल निर्यात का बड़ा हिस्सा है।
टर्नओवर की स्थिति
भीलवाड़ा का कुल टेक्सटाइल टर्नओवर लगभग 35,000 से 40,000 करोड़ रुपये वार्षिक आँका जाता है। इसमें यार्न निर्माण 40 प्रतिशत, प्रोसेस हाउस व डाईंग-प्रिंटिंग 25 प्रतिशत, तथा रेडीमेड गारमेंट्स 20 प्रतिशत का योगदान है। शेष टर्नओवर घरेलू व्यापार और सहायक उद्योगों से आता है।
स्थानीय उद्योग की मजबूती
भीलवाड़ा में करीब 400 से अधिक टेक्सटाइल यूनिट्स कार्यरत हैं। यहाँ का इंफ्रास्ट्रक्चर पावरलूम, ऑटो लूम और प्रोसेस हाउस उद्योग को मजबूती प्रदान करता है। साथ ही, यहाँ के उद्यमी निरंतर नई तकनीक अपना रहे हैं, जिससे गुणवत्ता में सुधार हुआ है और वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है।
चुनौतियाँ और संभावनाएँ
हालाँकि, उद्योग ऊर्जा लागत, पानी की कमी और सस्ते आयातित माल जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है। फिर भी, सरकार की पीएलआई योजना, निर्यात प्रोत्साहन और जीएसटी दरों में सुधार ने कारोबारियों को राहत दी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बुनियादी ढाँचे की समस्याओं का समाधान कर दिया जाए, तो भीलवाड़ा का टर्नओवर आने वाले पाँच वर्षों में 60,000 करोड़ रुपये तक पहुँच सकता है।
भीलवाड़ा का निर्यात एवं टर्नओवर इस बात का प्रमाण है कि यह शहर न केवल राजस्थान बल्कि पूरे भारत के टेक्सटाइल मानचित्र पर अग्रणी स्थान रखता है। यदि मौजूदा अवसरों का सही उपयोग किया गया, तो भीलवाड़ा आने वाले समय में एशिया का सबसे बड़ा टेक्सटाइल हब बन सकता है।