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खुदरा स्तर पर कमजोर मांग एवं असमंजस की स्थिति से ग्राहकी रुकी
नई दिल्ली/ ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के आतंकी एवं सैन्य ठकाने ध्वस्त किए जाने के बाद भारत-पाक यु( छिड़ने से बाजार में ग्राहकों का आवागमन रुक गया था लेकिन अब यु( विराम के बाद भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है जिससे कामकाज रुका हुआ है और बाजार में ग्राहकी का सन्नाटा कायम है।
व्यापारियों का कहना है कि गर्मी के सीजन में लग्न कम हो रहे हैं जिससे खुदरा स्तर पर मांग कम है। अब यु( विराम हो चुका है लेकिन बाजार में असमंजस की स्थिति बनी हुई है जिससे ग्राहकों का आवागमन रुका हुआ है और बाजार में सन्नाटा है।
वैसे भी इस बार दिल्ली कपड़ा बाजार में गर्मी के वैवाहिक सीजन की ग्राहकी अपेक्षा से बहुत कम चल रही थी। व्यापारियों के अनुसार हर साल गर्मी के लग्न की ग्राहकी पिटती जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब गर्मी के सीजन में लग्न कम होने लगे हैं जिससे ग्राहकी पिट रही है। व्यापारियों का कहना है कि सूटिंग-शर्टिंग में लग्न की ग्राहकी कम ही थी। लहंगा एवं साड़ी में भी लग्न का काम नहीं था। जबकि ड्रेस एवं ब्लाउज मटेरियल में बारीक फैब्रिक्स की मांग थी। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान के आतंकी एवं सैन्य ठिकानों को ध्वस्त पर दिया था जिससे यु( आरंभ हो गया था। इस दौरान बाजार में कोई काम नहीं हुआ लेकिन अब यु( विराम के बाद भी काम काज सामान्य नहीं हो पाया है।
आगे भी ग्राहकी कमजोर रहने की आशंका है। भुगतान की आवक भी रुक गई है और फिलहाल व्यापारियों का आवागमन भी नहीं हो रहा है। अब यदि स्थिति सामान्य हो जाती है तो ग्राहकी के हिसाब से भुगतान की आवक भी होगी।
अप्रैल का महीना कपड़े का पीक सीजन होता है लेकिन इस बार अप्रैल में भी अपेक्षित काम नहीं चला जबकि लग्न के भी बहुत दिन थे लेकिन इसके बावजूद बाजार में लग्न की ग्राहकी कमजोर रही। व्यापारियों का कहना है कि ऐसा लगता है कि अब ज्यादातर लग्न सर्दी में होने लगे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी गर्मी में लग्न कम हो रहे हैं जबकि पहले फसल कटने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मी के सीजन में खूब लग्न होते थे।
बहरहाल गर्मी के सीजन के हिसाब से कॉटन, लिनन एवं बारीक फैब्रिक्स की मांग बनी हुई थी लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बाद इनमें भी काम रुक गया है। सूटिंग-शर्टिंग में कॉटन एवं लिनन के प्लेन एवं सेल्फ डिजाइन में भी काम रुका हुआ है। ड्रेस मटेरियल में पोपलीन, रूबिया एवं कॉटन-लिनन प्रिंट सहित बारीक सीजनल फैब्रिक्स सहित साड़ी, लहंगा आदि किसी भी आईटम में अभी काम नहीं है।
व्यापारियों का कहना है कि इस बार गर्मी के सीजन में लग्न की ग्राहकी कमजोर रही। लग्न के दिन तो बहुत थे लेकिन इन दिनों पर लग्न कम हुआ। शर्टिंग में कॉटन एवं लिनन ही ज्यादा बिका। सूटिंग में कॉटन एवं पीवी दोनों की मांग सीमित रही। जोड़े एवं सफारी में भी काम सीमित रहा। प्लेन एवं सेल्फ डिजाइन ही ज्यादा बिके।
ऑपरेशन सिंदूर से पहले अरविंद मिल की कॉटन एवं लिनन सूटिगं-शर्टिंग एवं कुर्ती फैब्रिक्स में मांग बनी हुई थी। अरविंद मिल की विभिन्न ब्राण्ड के तहत कॉटन एवं लिनन की विस्तृत रेंज में काम हो रहा था। अरविंद के ट्रेस्का ब्राण्ड की सभी रेंज में काम हो रहा था। अरविंद के कॉटन, पीवी, पीसी, कॉटन-लिनन, प्योर लिनन, टीआर, कॉम्बी पैकिंग में मांग थी। इसके अगाथे ब्राण्ड की सिंथेटिक, टीआर सूटलेंथ, कॉम्बी पैकिंग, सफारी में भी काम हो रहा था लेकिन अभी व्यापारी असमंजस की स्थिति में हैं जिससे काम रुका हुआ है।
ड्रेस मटेरियल- व्यापारियों का कहना है कि अभी स्थिति सामान्य होने तक कॉटन, लिनन एवं बारीक फैब्रिक्स की मांग भी रुकी हुई है। अप्रैल में जितना काम होना, चाहिए था, उतना नहीं हुआ।
ड्रेस मटेरियल में आगे कॉटन प्लेन-पिं्रट, रेयॉन एवं बारीक फैब्रिक्स की मांग रहने की उम्मीद है। पोपलीन रंगीन एवं सफेद में मांग रहेगी। ब्लाउज मटेरियल टू बाई टू रूबिया में भी काम चलेगा। लाइनिंग में ग्राहकी निकलने की उम्मीद है।
व्यापारियों के अनुसार आगे सीजनल फैब्रिक्स की मांग सामान्य रहेगी। लग्न की ग्राहकी कम रही है। कॉटन प्रिंट, कैम्ब्रिक प्रिंट, लॉन प्रिंट एवं लिनन प्रिंट एवं ग्लेज्ड कॉटन साटन की मांग जल्दी निकलने की उम्मीद है। बिजी-लिजि प्रिंट एवं रेयॉन में भी काम चलेगा।
साड़ी एवं लहंगा- अप्रैल में लग्न के अनेक दिन थे लेकिन लग्न की ग्राहकी कमजोर रही। अब बाजार में कोई काम नहीं है और काम चलने की उम्मीद भी व्यापारियों को नहीं है।
व्यापारियों के अनुसार वर्तमान समर सीजन के लग्न का काम लगभग निबट चुका लगता है। पिछले एक पखवाड़े से बाजार में कोई काम नहीं हो पाया और आगे भी उम्मीद कम ही दिख रही है।