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आज के दौर में जब पर्यावरण संकट और संसाधनों की कमी गंभीर मुद्दे बन चुके हैं, तब फैशन इंडस्ट्री जो विश्व की सबसे प्रदूषणकारी इंडस्ट्रीज में से एक मानी जाती है, में एक सकारात्मक बदलाव की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसी परिवर्तन की दिशा में उभरता हुआ एक महत्वपूर्ण विचार है ‘सर्कुलर फैशन’।
सर्कुलर फैशन क्या है?
सर्कुलर फैशन एक ऐसा मॉडल है, जिसमें परिधान और टेक्सटाइल उत्पादों को इस तरह से डिज़ाइन, निर्मित और उपभोग किया जाता है कि उनका जीवनचक्र अधिकतम हो सके, और जब वे प्रयोग के योग्य न रहें, तब उन्हें दोबारा उपयोग, रिसायकल या कम्पोस्टिंग के ज़रिए पर्यावरण के लिए हानिरहित रूप में नष्ट किया जा सके। इसका मुख्य उद्देश्य ‘वेस्ट-फ्री और संसाधन-कुशल फैशन सिस्टम’ की स्थापना करना है।
यह अवधारणा पारंपरिक ‘लेनादृबनानादृफेंकना’ मॉडल के विपरीत ‘रिड्यूज-रियूज-रिसाइकल-रिइनवेण्ट’ पर आधारित है।
सर्कुलर फैशन के मुख्य स्तंभ-
सस्टेनेबल डिज़ाइन
कपड़े इस तरह बनाए जाते हैं कि वे लंबे समय तक चलें और बाद में पुनः प्रयोग के लिए उपयुक्त हों। इसमें मोनोटाइप फाइबर का प्रयोग, डिटैचेबल कंपोनेंट्स, और रिसायकल-योग्य मैटेरियल का चयन शामिल होता है।
रीयूज़ और रिपेयर
उपभोक्ता पुराने कपड़ों को फेंकने के बजाय उन्हें मरम्मत दोबारा पहनना या दूसरों को देना सीखते हैं। इससे कपड़ों का जीवनचक्र बढ़ता है।
रिसायक्लिंग और अपसायक्लिंग
-पुराने कपड़ों को नए उत्पादों में बदलना जैसे पुराने डेनिम को बैग, कारपेट या इन्सुलेशन मटेरियल में बदलना।
-बायोडिग्रेडेबल मटेरियल का उपयोग
-ऐसे फाइबर जिनका पर्यावरण में अपघटन संभव हो कृजैसे ऑर्गेनिक कॉटन, बांस, जूट आदि।
सर्कुलर फैशन का महत्व
पर्यावरण संरक्षण- कपड़ा उद्योग के कारण जल-प्रदूषण, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और वेस्ट जनरेशन की समस्या बढ़ी है। सर्कुलर फैशन इसे काफी हद तक कम कर सकता है।
कच्चे माल की बचत- रिसायक्लिंग से नई रॉ मटेरियल की आवश्यकता घटती है।
नौकरी और नवाचार- अपसायक्लिंग स्टार्टअप्स, रिपेयर सर्विस, टेक्सटाइल रिसायक्लिंग यूनिट जैसे नए क्षेत्र खुलते हैं।
उपभोक्ता जागरूकता- ग्राहक खरीदारी से पहले अब ष्कपड़े कैसे बने हैं? और उनका असर क्या होगा? जैसे सवाल पूछने लगे हैं।
भारत में सर्कुलर फैशन की स्थिति
भारत में सर्कुलर फैशन का विचार धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रहा है। कई बड़े ब्रांड्स पुरानी सामग्री से नए डिज़ाइन्स तैयार कर रहे हैं। इसके अलावा, कई कंपनियाँ अब टेक्सटाइल रिसायक्लिंग और जीरो वेस्ट फैशन पर भी काम कर रही हैं।
सरकार की पीएलआई स्कीम, पीएम मित्रा टेक्सटाइल पार्क और राष्ट्रीय टेक्सटाइल नीति जैसे कदम भी इस दिशा में सहायक हैं।
सर्कुलर फैशन सिर्फ एक ट्रेंड नहीं, बल्कि एक आवश्यक परिवर्तन है। यह फैशन को टिकाऊ, पारिस्थितिक संतुलनयुक्त और सामाजिक रूप से उत्तरदायी बनाने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। उपभोक्ता, निर्माता और नीति-निर्माता सभी की भागीदारी से ही यह आंदोलन सफल हो सकता है। भविष्य का फैशन वही होगा, जो पर्यावरण के साथ तालमेल में होगा।