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नई दिल्ली/ भारत का तकनीकी वस्त्र ;टेक्नीकल टेक्सटाइलद्ध क्षेत्र आज तेजी से सशक्त होता जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना जैसे प्रभावी कदमों से यह क्षेत्र नवाचार, निवेश और निर्यात के नए अवसरों की ओर अग्रसर हो चुका है।
तकनीकी वस्त्र वे विशेष प्रकार के वस्त्र होते हैं जो पारंपरिक फैशन या सजावट की बजाय औद्योगिक, रक्षा, स्वास्थ्य, ऑटोमोबाइल, कृषि और बुनियादी ढांचे जैसी तकनीकी जरूरतों के लिए बनाए जाते हैं। इनकी मांग वैश्विक स्तर पर बहुत तेजी से बढ़ रही है, और भारत इसमें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में ठोस प्रयास कर रहा है।
सरकार की पहलें और नीतिगत समर्थन-
एनटीटीएम की शुरुआत वर्ष 2020 में की गई थी, जिसका उद्देश्य 2024 तक तकनीकी वस्त्रों के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत अनुसंधान एवं नवाचार को समर्थन, स्किल डेवलपमेंट, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और निवेश आकर्षित करने जैसे प्रमुख घटकों पर काम किया जा रहा है।
वहीं, टेक्सटाइल मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही च्स्प् योजना ने लगभग 10,683 करोड़ रुपये के निवेश को प्रेरित किया है, जिससे दर्जनों नई उत्पादन इकाइयों की स्थापना हो रही है। इससे रोजगार सृजन के साथ-साथ घरेलू निर्माण और निर्यात दोनों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो रही है।
बाजार की संभावनाएं और उद्योग की प्रतिक्रिया-
तकनीकी वस्त्रों का वैश्विक बाजार 2025 तक 250 बिलियन डॉलर से अधिक का आंकड़ा छूने की उम्मीद है, जिसमें भारत को प्रमुख भूमिका निभानी है। भारत के पास मजबूत टेक्सटाइल बेस, प्रशिक्षित श्रमबल, कम लागत वाली उत्पादन क्षमता और बढ़ती घरेलू मांग जैसे महत्वपूर्ण कारक हैं।
टेक्सटाइल इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार की योजनाएं सही दिशा में हैं। एक प्रमुख उद्योगपति ने कहा कि एनटीटीएम ने हमारे आरएण्डडी परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया है। अब हम केवल आयात पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि वैश्विक खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा करने को तैयार हैं।
तकनीकी वस्त्रों का विकास भारत के लिए केवल आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। रक्षा, सुरक्षा और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता के लिए इनका स्वदेशी उत्पादन अनिवार्य है। सरकार, उद्योग और अनुसंधान संस्थानों के साझा प्रयासों से भारत तकनीकी वस्त्रों के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर हो रहा है।
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