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जीएसटी 2.0
वस्त्र उद्योग के लिए अवसर और चुनौतियाँ
भारत की कर व्यवस्था में जीएसटी 2.0 को एक नए युग की शुरुआत माना जा रहा है। जहाँ जीएसटी का पहला चरण अप्रत्यक्ष करों के जाल को सरल बनाने की दिशा में था, वहीं जीएसटी 2.0 का उद्देश्य इसे और पारदर्शी, तकनीक-आधारित और उद्योगोन्मुख बनाना है। इसका सीधा असर उन क्षेत्रों पर पड़ेगा जो श्रम-प्रधान और मूल्य-संवेदनशील हैंकृऔर वस्त्र उद्योग उनमें सबसे प्रमुख है।
इस नए ढाँचे में कर दरों का सरलीकरण, इनपुट टेक्स क्रेडिट की स्पष्टता, डिजिटल भुगतान और ई-इनवॉइसिंग की सख्ती शामिल है। कर प्रशासन को आसान बनाने के साथ-साथ इसमें अनुपालन की लागत कम करने पर जोर है। यह कदम उन उद्योगों के लिए राहतकारी साबित हो सकता है, जो अब तक प्रक्रियागत जटिलताओं से परेशान रहे हैं।
वस्त्र उद्योग, खासकर टेक्सटाइल वैल्यू चेन ;यार्न से लेकर रेडीमेड गारमेण्ट तकद्ध लंबे समय से जीएसटी की असमान दरों से जूझता रहा है। जीएसटी 2.0 में दर संरचना को तर्कसंगत बनाने का प्रयास किया गया है। यदि धागे, फैब्रिक और रेडीमेड कपड़ों पर समान कर दर लागू होती है तो उद्योग में पारदर्शिता बढ़ेगी और टेक्स इनवर्शन ;उल्टा टैक्स बोझद्ध की समस्या कम होगी।
इससे संगठित और असंगठित क्षेत्र के बीच असमानता घटेगी। छोटे व्यापारी और बुनकर, जिन्हें अब तक टेक्स प्रणाली बोझिल लगती थी, डिजिटल और सरल प्रक्रियाओं से लाभान्वित हो सकते हैं। निर्यातकों के लिए समय पर रिफंड व्यवस्था उद्योग की प्रतिस्पर्धा क्षमता को और मजबूत करेगी।
भारत का वस्त्र उद्योग केवल कारखानों और ब्रांड्स तक सीमित नहीं है, बल्कि यह करोड़ों कपास उत्पादकों, जूट किसानों और पावरलूम वर्करों से भी जुड़ा है। जीएसटी 2.0 के अंतर्गत यदि इनपुट पर टैक्स क्रेडिट आसानी से उपलब्ध होता है तो उत्पादन लागत कम होगी। परन्तु, यह भी जरूरी है कि सरकार ऐसे उपाय करे जिससे किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिलता रहे और आयातित कच्चे माल से घरेलू बाजार पर दबाव न बने।
जीएसटी 2.0 वस्त्र उद्योग के लिए दोहरी चुनौती और अवसर लेकर आया है। एक ओर यह प्रशासनिक सरलता, पारदर्शिता और लागत में कमी का वादा करता है, तो दूसरी ओर अनुपालन और डिजिटलीकरण की नई शर्तें छोटे कारोबारियों के लिए कठिन हो सकती हैं। इसीलिए सरकार को चाहिए कि वह प्रशिक्षण, जागरूकता और तकनीकी सहायता के जरिए छोटे और मध्यम उद्यमों को इस बदलाव के साथ जोड़ने में मदद करे।
वस्त्र उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था और रोजगार का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यदि जीएसटी 2.0 को व्यावहारिक और न्यायसंगत रूप में लागू किया गया तो यह उद्योग को नई प्रतिस्पर्धात्मकता और स्थिरता प्रदान कर सकता है। लेकिन यदि अनुपालन का बोझ बढ़ा, तो यह असंगठित और छोटे खिलाड़ियों को पीछे भी धकेल सकता है।
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