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शर्टिंग की सप्लाई चैन बढ़ी
By Textile Mirror - 15-05-2025

ग्रे सूती कपडों का उठाव कम होने से इकाइयों में उत्पादन 50 प्रतिशत से कम क्षमता पर  
मुंबई/ कपड़ों की बिक्री के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण सीजन माना जाता है। इस सीजन में कपड़ों के कारोबार में सदैव बड़ा उछाल देखने को मिला है, परंतु इस बार थोक कपड़ा बाजार में कारोबार की गति उतनी तेज नहीं है, जितने की उम्मीद की गई थी। बाजार के जानकार इसके लिए कई कारण मानते हैं, जैसेकि महंगाई बढ़ने से लोगों की खरीद शक्ति घटी है, एमएसएमई के साथ कारोबार करने में 45 दिनों के भीतर भुगतान करने का प्रावधान होने से व्यापारियों को नियत समय में भुगतान करना होता है, और माल नहीं बिकने पर माल की वापसी होती है। थोक कपड़ों के लिए अब एकाध महीने का ही सीजन रहा है, जैसे बारिश शुरू होगी, कपड़ों में कारोबार कम हो जाता है। 
वैश्विक स्तर पर चुनौतीपूर्ण स्थितियां होने के कारण भी कारोबार की गतिशीलता बाधती हो रही है। भिवंडी में कपड़ों का उत्पादन अभी भी आधी क्षमता पर हो रहा है। ग्रे सूती कपड़ों में मजबूती है, परंतु माल का उठाव अच्छा नहीं है। ग्रे सूती कपड़ों का उठाव कम होने के कारण वीवर्स कपड़ों का उत्पादन बढ़ाने की हिम्मत नहीं जुटा रहे हैं। इस बीच भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष शुरू होने से पिछले कुछ समय से सीमा से सटे राज्यों की मांग ठंडी पड़ गई थी, लेकिन संघर्ष विराम के बाद व्यापारियों ने राहत की सांस ली है। आगामी दिनों मंे ऐसे क्षेत्रों की मांग फिर से जोर पकड़ सकती है। कारण कि वैवाहिक सीजन के कारण फैंसी कपड़ों की मांग सर्वत्र बढ़ी हुई है। 
साउथ में कॉटन कपड़ा एवं यार्न के भाव ऊंचे होने पर भी ग्रे कपड़ों की मांग अच्छी बताई जा रही है। फिनिश कपड़ों में भी कामकाज हो रहा है, लेकिन इन क्षेत्रों में भी सीजन जैसा कारोबार नहीं है। ब्लीच फिनिश कपड़ों के भाव ऊंचा कोट किया जा रहा है, क्योंकि उत्पादन कम हो रहा है और कॉटन यार्न के भाव कुछ बढे़ हैं। 40/40, 92/80 44’’ पना ब्लीच का भाव 46.50 रूपये है, तो 92/88 का भाव 51.50 रूपये और 100/92 का 61 रूपये है। इसी तरह 100/92 कोम्ब्ड का भाव 71 रूपये है। 40/40, 92/80 कार्डेड का भा कुछ ऊंचा रहा है। भिवंडी में सूती कैम्ब्रिक 60/60, 92/88 डाईंग ग्रे का भाव 50 रूपये और सेमी का भाव 45 रूपये है। सूती मलमल का भाव 26.50 रूपये हैं। 
शर्टिंग की सप्लाई चैन बढ़ी है। शर्टिंग के उत्पादन में मुंबई पहले से ही आगे है। इसी के साथ विदेशों विशेषकर चीन से आयातित माल आता ही रहता है। लेकिन अब सूरत में बनी शर्टिंग नियमित तौर पर बाजार में आ रही है और यह शर्टिंग मूल्य एवं क्वालिटी के हिसाब से अच्छी बताई जा रही हैं। इसका असर बाजार पर पड़ा है, इसके साथ ही जब से अमेरिका एवं चीन के बीच व्यापार संबंधित तनाव बढ़ा और अमेरिका ने चीन पर भारी भरकम टैरिफ लगाया तब से चीन अपना माल ऐसे बाजारों में बेचने के लिए अधीर एवं उतावला हो गया है, जहां भरपूर मांग है। भारत एक विशाल बाजार है, इसलिए चीन से बडे़ पैमाने पर सस्ते दर पर माल की डम्पिंग की जा रही है।  
स्कूल यूनिफॉर्म की सीजन सामने है, परंतु ग्राहकी नहीं है। स्कूल यूनिफॉर्म उत्पादकों ने अपनी स्कीमों और उत्पाद डिस्पले के बल पर कारोबार को नई दिशा दी है। कुछ मिलांे की स्कूल यूनिफॉर्म के उत्पादन में बड़ी भूमिका रही है। इन मिलों के माल की बिक्री अन्य निजी क्षेत्र के खिलाड़ियों की तुलना में अधिक रहा करता है। परंतु अब नामचीन मिलों के साथ निजी क्षेत्र के खिलाड़ियों की मौजूदगी बढ़ने से स्कूल यूनिफॉर्म में मैन्यूफैक्चरर्स बढे़ हैं, इसलिए प्रतिस्पर्धा अधिक है। यही कारण है कि कोई तेजी नहीं है। सूटिंग का भाव जो अक्टूबर में घटा था, उसके बाद इसमें किसी तरह की वृ(ि नहीं हो सकी है। भरपूर स्टॉक मिलने से शर्टिंग का भाव स्थिर जैसा लग रहा है। 
कपड़ा कारोबारियों को उम्मीद है कि भारत और यूके बीच मुक्त व्यापार करार होने से देश से टेक्सटाइल एवं क्लोदिंग के निर्यात में जबरदस्त उछाल आएगा और इसका लाभ कपडा उत्पादकों को होगा। यूके में भारत के टेक्सटाइल एवं क्लोदिंग निर्यात करने पर 12 प्रतिशत शुल्क लगता है जो इस करार के बाद हट जाएगा। शून्य शुल्क से भारत के निर्यातकों को लेवल प्लेईंग फिल्ड मिलेगा। यद्यपि अभी यूके के टेक्सटाइल एवं क्लोदिंग के आयात में भारत का हिस्सा पांच प्रतिशत से कम है, जबकि बांग्लादेश का हिस्सा 18 प्रतिशत और चीन का हिस्सा 21 प्रतिशत है। उम्मीद है कि भारत का हिस्सा इसके बाद बढ़कर 10 प्रतिशत होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। 
टेक्सटाइल क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि एफटीए का सबसे अधिक लाभ तमिलनाडु को होने की संभावना है। देष से कपड़ों के निर्यात में इस राज्य का हिस्सा सबसे अधिक है। आंकड़ों से पता चलता है कि वित्तीय वर्ष 2025 में भारत से कुल 36.91 अरब डॉलर मूल्य के कपड़ों के निर्यात में इस राज्य का हिस्सा 27 प्रतिशत है। बांग्लादेश की अशांति के कारण तमिलनाडु के तिरूपुर में काटन निटेडवियर की मांग बड़ी तेजी से बढ़ी है। गारमेण्ट की निर्यात मांग बढ़ने से कपड़ों की मांग में भारी वृ(ि होने की उम्मीद की जा रही है। इसलिए माना जा रहा है कि कपड़ उद्योग में ढुलमुल की जो स्थिति अभी बनी हुई है, उसमें सुधार होगा और कपड़ों में कारोबारी गतिशीलती रहेगी। 
 

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