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नई दिल्ली/ भारत के वस्त्र एवं परिधान निर्यात पर अमेरिका द्वारा लगाया गया 50 प्रतिशत आयात शुल्क अब ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के लिए चुनौती बनता जा रहा है। इस कदम से भारतीय उत्पादों की अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा कम हुई है और निर्यातकों की चिंता बढ़ गई है।
सूत्रों के अनुसार, कई प्रमुख कंपनियाँ अब उत्पादन को वियतनाम, इंडोनेशिया और अफ्रीकी देशों में स्थानांतरित करने लगी हैं, जहाँ कम लागत और बेहतर व्यापार समझौते उपलब्ध हैं। उद्योग जगत का कहना है कि यदि यह रुझान जारी रहा तो भारत की वैश्विक निर्यात हिस्सेदारी प्रभावित हो सकती है।
सरकारी कदम
स्थिति को संभालने के लिए केंद्र सरकार ने हाल ही में कपास आयात शुल्क को अस्थायी रूप से समाप्त करने और पीएलआई योजना के आवेदन पोर्टल को फिर से खोलने जैसे निर्णय लिए हैं। सरकार का मानना है कि इन कदमों से घरेलू उत्पादन लागत में कमी आएगी और निर्यातकों को राहत मिलेगी।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को ‘मेक इन इंडिया’ की सफलता सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक व्यापार समझौतों, लॉजिस्टिक्स और लागत प्रतिस्पर्धा पर और ध्यान देना होगा। तभी देश अमेरिकी टैरिफ जैसी बाधाओं का सामना कर पाएगा और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखेगा।
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