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भारत के कई राज्यों ने अपने-अपने औद्योगिक और क्षेत्रीय विशेषताओं के आधार पर टेक्सटाइल उद्योग को बढ़ावा देने हेतु अलग स टेक्सटाइल पॉलिसी बनाई है। ये नीतियाँ निवेश को आकर्षित करने, रोजगार सृजन, तकनीकी उन्नयन और निर्यात वृ(ि जैसे उद्देश्यों पर केंद्रित हैं। निम्नलिखित प्रमुख राज्यों में विशेष टेक्सटाइल पॉलिसियाँ मौजूद हैं-
महाराष्ट्र टेक्सटाइल पॉलिसी 2018-2023
2023 तक संशोधित नीति लायी गई है जो क्लस्टर विकास, कपास आधारित उद्योग, और गारमेंटिंग यूनिट्स पर फोकस करती है।
गुजरात टेक्सटाइल पॉलिसीदृ2020-25
टेक्सटाइल उद्योग में निवेश हेतु सब्सिडी, भूमि सहायता और बिजली शुल्क छूट की सुविधा दी जाती है।
उत्तर प्रदेश टेक्सटाइल एण्ड गारमेण्टिंग पॉलिसी-2022
बुंदेलखंड और पूर्वांचल जैसे क्षेत्रों को टेक्सटाइल हब के रूप में विकसित करने पर ज़ोर।
तमिलनाडु टेक्सटाइल पॉलिसी- 2021
एमएसएमई इकाइयों को सब्सिडी, ट्रेनिंग और स्किल डेवलपमेंट प्रोत्साहन।
हरियाणा टेक्सटाइल पॉलिसी-2016
टेक्सटाइल पार्क, फाइनेंशियल इंसेंटिव और एक्सपोर्ट हब को समर्थन।
राजस्थान टेक्सटाइल पॉलिसी-2022
भीलवाड़ा, पाली, और झुंझुनूं जैसे टेक्सटाइल बेल्ट को विशेष प्रोत्साहन।
तेलंगाना टेक्सटाइल एण्ड अपेरल पॉलिसी-2017
वारंगल में ‘ककाटिया मेगा टेक्सटाइल पार्क’ जैसी परियोजनाओं पर विशेष बल।
ओडिशा अपेरल एण्ड टेक्सटाइल पॉलिसी-2022
राज्य में निवेशकों को भूमि, ट्रेनिंग, और टेक्स लाभ देने का प्रावधान।
झारखंड टेक्सटाइल पॉलिसी 2016
हथकरघा और हस्तशिल्प के साथ-साथ गारमेंटिंग इकाइयों के लिए विशेष योजनाएँ।
आसाम टेक्सटाइल पॉलिसी 2025
पूर्वाेत्तर भारत में टेक्सटाइल को बढ़ावा देने की दिशा में नई पहल।
इन राज्यों की नीतियाँ अक्सर केंद्र सरकार की नेशनल टेक्सटाइल पॉलिसी एवं पीएलआई स्कीम से तालमेल में रहती हैं और राज्य की प्राथमिकताओं के अनुसार अनुकूलित की जाती हैं।
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