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चीन और बांग्लादेश के मुकाबले कहाँ खड़ी है?
नई दिल्ली/ वैश्विक परिधान और वस्त्र उद्योग में भारत, चीन और बांग्लादेश तीन बड़े खिलाड़ी हैं। हालांकि तीनों की अपनी-अपनी विशेषताएँ और चुनौतियाँ हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी स्थिति अलग-अलग है।
चीन- सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से अग्रणी
चीन अब भी दुनिया का सबसे बड़ा परिधान और टेक्सटाइल निर्यातक है। जुलाई 2025 में चीन का परिधान निर्यात 14.7 अरब डॉलर रहा, जो स्थिर है। चीन का फायदा इसकी विशाल उत्पादन क्षमता, ऑटोमेशन और पूरी वैल्यू चेन पर नियंत्रण है। सिंथेटिक फाइबर और टेक्निकल टेक्सटाइल में चीन की पकड़ सबसे मजबूत मानी जाती है।
बांग्लादेश- सस्ते श्रम और ड्यूटी-फ्री एक्सेस की ताकत
बांग्लादेश ने पिछले दशक में परिधान निर्यात में तेज़ी से बढ़त बनाई है। जुलाई 2025 में इसका निर्यात 4.0 अरब डॉलर रहा, जो 25 प्रतिशत की उल्लेखनीय है। इसकी सबसे बड़ी ताकत सस्ता श्रमबल और यूरोप व ब्रिटेन को ड्यूटी-फ्री एक्सेस है। यही वजह है कि फास्ट फैशन और बेसिक गारमेंट्स के लिए यह वैश्विक ब्रांड्स की पहली पसंद बन गया है।
भारत- विविधता और कपास उत्पादन में मज़बूत
भारत का जुलाई 2025 में परिधान निर्यात 1.3 अरब डॉलर पर स्थिर रहा। भारत दुनिया का सबसे बड़ा कपास उत्पादक है और होम टेक्सटाइल, हैंडलूम, सिल्क और टेक्निकल टेक्सटाइल में उसकी मजबूत पहचान है। हालांकि, रेडीमेड गारमेंट्स में भारत अभी भी चीन और बांग्लादेश से पीछे है।
भारत की प्रमुख चुनौतियों में लॉजिस्टिक दिक्कतें, श्रम कानून की जटिलता और उच्च उत्पादन लागत शामिल हैं। लेकिन अगर भारत यूरोप और ब्रिटेन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को अंतिम रूप दे देता है, तो उसे निर्यात में बड़ी बढ़त मिल सकती है।
तुलनात्मक स्थिति
चीन = बड़े पैमाने पर उत्पादन $ तकनीकी बढ़त।
बांग्लादेश = सस्ते श्रम $ ड्यूटी-फ्री एक्सेस।
भारत = विविधता $ कपास की ताकत $ भविष्य की संभावनाएँ।
सारांश-
भारत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री फिलहाल चीन की तकनीकी और उत्पादन क्षमता तथा बांग्लादेश की लागत प्रतिस्पर्धा से मुकाबला कर रही है। हालांकि, भारत के पास विविध उत्पाद पोर्टफोलियो और घरेलू कच्चे माल की उपलब्धता जैसी बड़ी ताकतें हैं। यदि सरकार निर्यात नीतियों में राहत और वैश्विक व्यापार समझौतों पर तेजी से काम करती है, तो भारत आने वाले वर्षों में इस मुकाबले में और मजबूत होकर उभर सकता है।
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