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नई दिल्ली/ भारतीय टेक्सटाइल उद्योग को वैश्विक बाजार में एक बड़ा झटका लगा है। अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले वस्त्र और परिधान उत्पादों पर 25 प्रतिशत आयात शुल्क ;टैरिफद्ध लगाने का फैसला किया है। यह निर्णय 7 अगस्त 2025 से प्रभाव में आएगा। इससे भारत के प्रमुख वस्त्र निर्यात केंद्रों जैसे तिरुपुर ;तमिलनाडुद्ध, लुधियाना ;पंजाबद्ध, सूरत ;गुजरातद्ध, कानपुर ;उत्तरप्रदेशद्ध और पनिपत ;हरियाणाद्ध पर गंभीर असर पड़ने की संभावना है।
अमेरिका का यह कदम कथित रूप से घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और व्यापार असंतुलन को संतुलित करने के मकसद से उठाया गया है। हालांकि, भारत सरकार ने इस निर्णय को एकतरफा और विश्व व्यापार संगठन के नियमों के विपरीत बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया है। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस मामले को कूटनीतिक और व्यापारिक स्तर पर जल्द ही उठाया जाएगा।
निर्यातकों और उद्योग संगठनों की प्रतिक्रिया
सिटी ;कॉन्फेडरेशन ऑफ इण्डियन टेक्सटाइल इण्डस्ट्रीद्ध ने इस टैरिफ को ‘भारतीय टेक्सटाइल उद्योग के लिए एक बड़ा झटका’ करार दिया है। सिटी अध्यक्ष श्री टी. राजगोपालन ने कहा ‘‘अमेरिका भारत के वस्त्र निर्यात का सबसे बड़ा बाजार है। 25 प्रतिशत टैरिफ से प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य निर्धारण बाधित होगा, जिससे हमारे निर्यात में भारी गिरावट आ सकती है। एमएसएमई इकाइयों की आजीविका और लाखों श्रमिकों की नौकरियां खतरे में हैं।’’
एईपीसी ‘अपेरल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउन्सिल’ ने भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि पहले ही वैश्विक मांग में गिरावट और बढ़ती उत्पादन लागत के कारण उद्योग संकट में है, और अब यह टैरिफ उद्योग की गति को और धीमा कर सकता है।
संभावित आर्थिक प्रभाव
वर्ष 2024-25 में भारत ने अमेरिका को लगभग 9.2 बिलियन डॉलर मूल्य के वस्त्र और परिधान उत्पाद निर्यात किए थे। विशेषज्ञों के अनुसार, इस टैरिफ के कारण अगले 12 महीनों में 1.5 से 2 बिलियन डॉलर तक का नुकसान हो सकता है।
इसके अतिरिक्त,
निर्यात ऑर्डर में गिरावट की आशंका
-एमएसएमई इकाइयों पर उत्पादन लागत का सीधा दबाव
-सूरत, तिरुपुर जैसे हब में छंटनी और श्रमिकों पर संकट
सरकारी पहलें और संभावित रणनीति
भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए वाणिज्य मंत्रालय के स्तर पर एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। बैठक में निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं में राहत, टैरिफ के प्रभाव को संतुलित करने के लिए सब्सिडी विकल्प, और बैंकिंग सहायता योजनाओं पर विचार किया गया।
सरकार ‘नई बाजार रणनीति’ के तहत यूरोप, यूके, मिडिल ईस्ट, लैटिन अमेरिका जैसे नए क्षेत्रों में वस्त्र निर्यात को बढ़ावा देने की योजना बना रही है। इसके अलावा, पहले से चल रही पीएलआई योजना, पीएम मित्रा टेक्सटाइल पार्क और रो-क्लस्टर विकास कार्यक्रम को इस स्थिति में समर्थन नीति के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
प्रतिस्पर्धा में भारत पिछड़ा?
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका द्वारा बांग्लादेश को मात्र 20 प्रतिशत टैरिफ की छूट देना और वियतनाम को एफटीए। सुविधा देना भारत के लिए प्रतिस्पर्धात्मक नुकसान का कारण बन सकता है। इससे भारतीय वस्त्र उत्पाद अमेरिकी बाजार में अपेक्षाकृत महंगे हो जाएंगे, जिससे खरीददार विकल्प बदल सकते हैं।
अमेरिका का यह टैरिफ निर्णय भारत के वस्त्र निर्यात क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है। हालांकि सरकार और उद्योग मिलकर स्थिति का समाधान खोजने में जुटे हैं, लेकिन यदि शीघ्र रणनीतिक हस्तक्षेप नहीं हुआ तो यह संकट लंबे समय तक रोजगार, निर्यात और विनिर्माण पर असर डाल सकता है।