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बिहार के पूर्णिया जिले में एक युवा दंपति, आलोक कुमार और भारती पासवान, ने टेक्सटाइल कशीदाकारी के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक सफलता की कहानी लिखी है। कोविड-19 महामारी के दौरान, जब देशभर में रोजगार की चुनौतियाँ बढ़ रही थीं, तब इस जोड़े ने चनपटिया मॉडल से प्रेरणा लेकर अपने उद्यम की नींव रखी। उन्होंने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 50 लाख का लोन प्राप्त कर ‘माँ पदमालया टेक्सटाइल्स’ की स्थापना की।
इस स्टार्टअप के माध्यम से, उन्होंने सूरत से आयातित उन्नत इम्ब्रॉयडरी मशीनों का उपयोग करते हुए साड़ियों और लहंगों पर आकर्षक डिज़ाइन तैयार करना शुरू किया। इन उत्पादों की गुणवत्ता और डिज़ाइन की मांग इतनी बढ़ी कि सुपौल और मधेपुरा जैसे जिलों से भी ऑर्डर मिलने लगे। छठ पर्व के अवसर पर विशेष साड़ियों की तैयारी ने उनके व्यवसाय को और भी गति दी।
आलोक कुमार, जो पहले एक प्रतिष्ठित कंपनी में 8 लाख रुपये सालाना के पैकेज पर कार्यरत थे, ने पूर्णिया के जिलाधिकारी कुंदन कुमार से प्रेरणा लेकर नौकरी छोड़ दी और उद्यमिता की राह चुनी। उन्होंने बताया कि चनपटिया मॉडल ने उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन की संभावनाओं को समझने में मदद की।
पूर्णिया में बियाडा मरंगा के प्लग एंड प्ले मॉडल ने उनके उद्यम को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह सुविधा उद्यमियों को न्यूनतम लागत पर आवश्यक बुनियादी ढांचा प्रदान करती है, जिससे स्टार्टअप्स को तेजी से संचालन शुरू करने में मदद मिलती है।
‘माँ पदमालया टेक्सटाइल्स’ की सफलता न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन गई है। इस उद्यम ने कई लोगों को रोजगार प्रदान किया है और स्थानीय स्तर पर आत्मनिर्भरता की भावना को बढ़ावा दिया है।
आलोक और भारती की यह यात्रा यह दर्शाती है कि सही मार्गदर्शन, सरकारी योजनाओं का लाभ और दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी व्यक्ति उद्यमिता के क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। उनकी कहानी अन्य युवाओं को भी अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित करती है।
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