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पटना/ स्थानीय वस्त्र उद्योग इस समय अवसर और चुनौतियों के दोहरे दौर से गुजर रहा है। पलिगंज ब्लॉक स्थित सिगोरी कॉटन क्लस्टर, जो ‘सतरंगी चादर’, गमछा और दुपट्टे के लिए प्रसि( है, के करीब 1,000 बुनकर आर्थिक तंगी, मौसमी बेरोज़गारी और बाज़ार से सीधे जुड़ाव की कमी से जूझ रहे हैं। बुनकरों ने डिज़ाइन व टेक्नोलॉजी प्रशिक्षण, स्थानीय डाईंग-प्रिंटिंग सुविधा और प्रत्यक्ष खरीद व्यवस्था की मांग की है।
इस बीच, बिहार सरकार और केंद्र ने उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम तेज़ किए हैं। हाल में आयोजित इन्वेस्टर्स मीट में केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार में राष्ट्रीय फैशन टेक्सटाइल संस्थान खोलने की घोषणा की। इसके अलावा बेगूसराय, भभुआ, मुजफ्फरपुर और बेतिया को विशेष टेक्सटाइल प्रोजेक्ट्स के रूप में विकसित करने की योजना है।
निर्यात के मोर्चे पर भी राहत की खबर है। अक्टूबर में शुरू होने जा रहा भीटा ड्राई पोर्ट बिहार का पहला इनलैंड कंटेनर डिपो होगा, जो राज्य के निर्यातकों को कोलकाता, मुंबई, विशाखापट्टनम और मुंद्रा जैसे प्रमुख बंदरगाहों से सीधा रेल कनेक्शन उपलब्ध कराएगा। इससे कस्टम क्लियरेंस और परिवहन लागत में कमी आने की उम्मीद है।
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पारंपरिक क्लस्टरों की समस्याओं के समाधान के साथ नई परियोजनाओं को समय पर लागू किया गया, तो पटना का टेक्सटाइल सेक्टर निर्यात और रोजगार दोनों में उल्लेखनीय वृ(ि दर्ज कर सकता है।