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दीपोत्सव के बाद नई चुनौतियाँ और विवाह सीजन की रौनक
By Textile Mirror - 24-11-2025

महाराष्ट्र के टेक्सटाइल उद्योग में उम्मीद और अनिश्चितता दोनों का दौर
इचलकरंजी/ दीपावली के ऐतिहासिक कारोबार के बाद महाराष्ट्र का वस्त्र उद्योग, विशेषकर देश का प्रमुख ‘टेक्सटाइल हब’ इचलकरंजी, अब एक नए संक्रमण काल से गुजर रहा है। 1 नवंबर 2025 से अब तक उद्योग में उत्पादन की पुनः शुरुआत, कपास उत्पादन की चिंता, यार्न दरों में उतार-चढ़ाव और विवाह सीजन की बढ़ती मांग के बीच एक मिश्रित स्थिति देखी जा रही है।
दीपावली की छुट्टियों के बाद 8 नवंबर 2025 से इचलकरंजी के अधिकांश पावरलूम कारखाने फिर से चालू हो गए हैं। कारीगर अपने गाँवों से लौटकर काम में जुट चुके हैं, जिससे उत्पादन लगभग सामान्य स्तर पर पहुँच गया है। शहर की मशीनें फिर से गूंजने लगी हैं और यह संकेत दे रही हैं कि इचलकरंजी की औद्योगिक रफ्तार वापस पटरी पर है।
हालाँकि, राज्य में इस वर्ष कपास उत्पादन अभी भी चिंता का विषय बना हुआ है। कृषि विभाग के प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, दीपावली तक हुई बेमौसम बारिश के चलते उत्पादन में लगभग 20-25 प्रतिशत की कमी की संभावना है। इसका असर अब कपास की कीमतों पर दिखने लगा है। कॉटन फ्यूचर्स मार्केट में हल्की तेजी देखी जा रही है और व्यापारियों का अनुमान है कि आगामी हफ्तों में हाजिर कीमतों में और वृ(ि हो सकती है। इससे उत्पादन लागत पर दबाव बढ़ेगा।
कॉटन यार्न में सीमित तेजी, विवाह सीजन से उम्मीद
दीपावली के बाद कामकाज सामान्य होते ही कॉटन यार्न की मांग में सुधार देखा जा रहा है। विवाह सीजन की तैयारी में बाजारों से नई मांग आ रही है। विशेष रूप से मध्यम और फाइन काउंट यार्न की, जो साड़ियों, सूट, ड्रेसेस और प्रीमियम रेडीमेड गारमेंट्स में उपयोग होती है। 1 नवंबर के बाद से यार्न दरों में औसतन 2-4 प्रतिशत की वृ(ि दर्ज की गई है। हालांकि, फिलहाल मांग और आपूर्ति में संतुलन बना हुआ है, जिससे बाजार स्थिर है।
सिंथेटिक यार्न में स्थिरता और अवसर
‘पीएलआई’ योजना के चलते सिंथेटिक और मिश्रित फाइबर उत्पादों की मांग स्थिर से मजबूत बनी हुई है। पोलिएस्टर और विस्कोस यार्न विशेषकर रेडीमेड गारमेण्ट और टिकाऊ कपड़ों के लिए पसंद किए जा रहे हैं। 1 नवंबर से अब तक इनकी दरों में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है, परंतु वैश्विक कच्चे तेल और रुपये-डॉलर विनिमय दर में उतार-चढ़ाव से आने वाले समय में इनके भाव प्रभावित हो सकते हैं।
ग्रे फैब्रिक की मांग में नई रफ्तार
दीपावली से पहले ग्रे कपड़े की मांग मजबूत थी, और अब विवाह सीजन ने इसमें फिर से जान डाल दी है। शुरुआती कुछ दिनों में छुट्टियों के असर से मांग धीमी थी, लेकिन अब प्रोसेसरों और रेडीमेड निर्माताओं से लगातार नए ऑर्डर मिल रहे हैं। गुणवत्तापूर्ण और विशेष बुनाई वाले कपड़ों को ऊँचे दाम मिल रहे हैं। जॉब रेट में सुधार से पावरलूम उद्यमियों में नई ऊर्जा आई है।
विवाह सीजन से बाजार में नई जान
पिछले पखवाड़े में देशभर के बाजारों में विवाह-समारोहों के परिधानों की बिक्री तेज़ हुई है। पारंपरिक परिधान जैसे लहंगे, शेरवानी, साड़ियाँ और सूट, के साथ-साथ इंडो-वेस्टर्न और गाउन जैसी श्रेणियों में भी अच्छी मांग है। सरकार द्वारा 2,500 रुपये तक के रेडीमेड गारमेंट्स पर जीएसटी दर में कटौती से ग्राहकों को राहत मिली है, जिससे खुदरा बिक्री में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
ठंड की दस्तक और ऊनी कपड़ों की तैयारी
महाराष्ट्र में अब बेमौसम बारिश थम चुकी है और ठंड धीरे-धीरे बढ़ने लगी है। व्यापारियों को उम्मीद है कि तापमान में गिरावट के साथ ही स्वेटर, जैकेट, शॉल और ऊनी सूट की बिक्री में तेजी आएगी। यह सीजनल डिमांड कपड़ा कारोबार को वर्षभर संतुलित रखेगी।
पावरलूम रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, नई चिंता
इधर, राज्य मंत्रिमंडल ने हाल ही में पावरलूम उद्योग को बिजली बिल में सब्सिडी देने के लिए रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य कर दिया है। अध्यादेश के अनुसार, अब सभी पावरलूम मालिकों को वस्त्रोद्योग आयुक्तालय के ऑनलाइन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। पहले इस शर्त का उद्योग जगत ने विरोध किया था, परंतु अब इसे अनिवार्य कर दिए जाने से पावरलूम मालिकों में बेचौनी है।
वर्तमान में राज्य सरकार 27 एचपी से अधिक लोड वाले पावरलूम को 75 पैसे प्रति यूनिट, और 27 एचपी से कम लोड वाले प्लेन पावरलूम को 1 प्रति रुपये यूनिट की अतिरिक्त बिजली छूट दे रही है। यदि रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया तो यह छूट बंद हो जाएगी।
संक्षेप में, महाराष्ट्र और इचलकरंजी का वस्त्र उद्योग इस समय आशा और चुनौती दोनों की स्थिति में है। एक ओर विवाह सीजन और ठंड का आगमन बाजार को नई ऊर्जा दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कपास उत्पादन की कमी, बढ़ती लागत और नई सरकारी नीतियाँ उद्योग की राह कठिन बना सकती हैं।
फिर भी, इचलकरंजी का उद्योग अपनी लचीलापन और नवाचार की भावना के दम पर आगे बढ़ने को तैयार है यही उसकी असली पहचान है, जिसने उसे भारत का ‘मैनचेस्टर ऑफ महाराष्ट्र’ बनाया है।

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