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कच्चे माल, भुगतान और चुनावी अनिश्चितताओं ने बढ़ाई चुनौतियाँ
इचलकरंजी/ दीपावली के रिकॉर्ड-तोड़ कारोबार के बाद महाराष्ट्र का कपड़ा उद्योग एक बार फिर अपनी पूर्ण क्षमता के साथ सक्रिय हो गया है। खासकर इचलकरंजीकृजिसे देश का प्रमुख ‘टेक्सटाइल हब’ माना जाता हैकृयहाँ पावरलूम सेक्टर में उत्पादन तेज़ी से पटरी पर लौट आया है। विवाह और सर्दी के सीजन ने बाज़ार में नई ऊर्जा पैदा की है, वहीं कच्चे माल की अस्थिर कीमतों और आगामी स्थानीय महानगरपालिका चुनावों ने उद्योग के भविष्य को लेकर नई चर्चाएँ छेड़ दी हैं।
दीपावली के बाद छुट्टियाँ ख़त्म होते ही कारीगर बड़ी संख्या में काम पर लौट आए हैं, जिससे पावरलूम इकाइयों में आई अस्थायी कमी पूरी हो गई है। मशीनें करीब-करीब फुल क्षमता पर चल रही हैं और निर्माता विवाह सीजन व ठंड के सीजन के लिए बड़े स्तर पर स्टॉक तैयार कर रहे हैं। इसी के साथ स्पिनिंग मिलें भी पूरी सक्रियता से काम कर रही हैं।
हालांकि, कपास की कीमतों में उतार-चढ़ाव ने मिलों के लिए कच्चे माल की खरीद को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। कई मिलें संभावित मूल्य जोखिम को देखते हुए सीमित मात्रा में कपास खरीद रही हैं, लेकिन यार्न की स्थिर मांग के चलते उत्पादन क्षमता का अधिकतम उपयोग किया जा रहा है। घरेलू पावरलूम बाजार के साथ-साथ कुछ मिलें निर्यात ऑर्डरों को भी पूरा कर रही हैं, हालांकि लाभ मार्जिन पर दबाव बना हुआ है।
कपास उत्पादन की स्थिति उद्योग के लिए बड़ी चिंता है। राज्य में इस वर्ष उत्पादन 20-25 प्रतिशत तक कम होने का अनुमान है। सीमित आपूर्ति और घरेलू मांग की मजबूती के कारण हाजिर व वायदा बाजार में कपास के भाव लगातार ऊँचे बने हुए हैं। इसका असर सूत की दरों पर भी पड़ा है, जिससे यार्न की कीमतों में 3-5 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। रेडीमेड गारमेण्ट निर्माताओं से लगातार ऑर्डर मिलते रहने के कारण यह बढ़ी हुई कीमतें भी बाजार में स्वीकार्य हो रही हैं।
सिंथेटिक और मिश्रित यार्न की मांग इस समय मजबूत बनी हुई है। पीएलआई योजना और एमएमएफ आधारित कपड़ों में बढ़ते निवेश ने इस सेगमेंट में स्थिरता पैदा की है। वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में हल्के उतार-चढ़ाव के बावजूद सिंथेटिक यार्न के भाव सामान्य दायरे में हैं।
दीपावली के तुरंत बाद ग्रे फैब्रिक के बाजार में तेज़ी देखी जा रही है। रेडीमेड गारमेंट निर्माताओं और प्रोसेसरों से बड़े ऑर्डर मिल रहे हैं। खासकर, विवाह सीजन के लिए डिजाइनर और बेहतर गुणवत्ता वाले ग्रे कपड़े की मांग बढ़ी है। सूत की कीमतों में बढ़ोतरी और उत्पादन की व्यस्तता को देखते हुए ग्रे कपड़े के भाव स्थिर से हल्के मजबूत बने हुए हैं। पावरलूम उद्यमियों को जॉब रेट संतोषजनक मिल रहे हैं, जिससे उद्योग में उत्साह का माहौल है।
खुदरा बाजारों में भी विवाह और सर्दी के सीजन ने बिक्री का नया रिकॉर्ड बनाया है। दूल्हा-दुल्हन के डिजाइनर परिधानों, शेरवानी, लहंगे और साड़ियों की मांग अपने चरम पर है। साथ ही सर्दी बढ़ने की संभावना ने स्वेटर, जैकेट, शॉल और ऊनी सूट की बिक्री को रफ्तार दी है।
उद्योग के लिए सबसे संवेदनशील मुद्दाकृभुगतानकृदीपावली के बाद मिश्रित स्थिति में है। बड़े रिटेलर्स और प्रतिष्ठित खरीदारों से भुगतान समय पर मिल रहा है, जबकि छोटे व ग्रामीण क्षेत्रों के खरीदारों से देरी की शिकायतें हैं। यह देरी उन क्षेत्रों में अधिक देखी जा रही है, जहाँ असामयिक बारिश से कृषि को नुकसान हुआ है। उद्योग हितधारक एनपीए बढ़ने से बचने के लिए सतर्क हैं और सख्त क्रेडिट नीतियाँ अपनाने लगे हैं।
इचलकरंजी समेत महाराष्ट्र के अन्य टेक्सटाइल क्षेत्रों में आगामी स्थानीय महानगरपालिका चुनाव भी उद्योग पर असर डाल सकते हैं। चुनावों से पहले कई नीतिगत निर्णय अस्थायी रूप से रुक सकते हैं और कुछ कामगार चुनाव गतिविधियों में शामिल होने के कारण उत्पादन पर थोड़ा प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि चुनावी वादों में स्थानीय बुनियादी ढाँचेकृसड़कें, बिजली, पानी, ड्रेनेजकृके सुधार की घोषणा उद्योग के लिए दीर्घकालिक लाभ का संकेत देती है।
पीएलआई योजना की अंतिम तिथि बढ़ने से अनेक उद्यमी मैन-मेड फाइबर और टेक्निकल टेक्सटाइल में निवेश की तैयारी कर रहे हैं। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और संभावित अमेरिकी टैरिफ दबावों के बीच नए बाजारों की तलाश जारी है।
कुल मिलाकर, महाराष्ट्र और इचलकरंजी का कपड़ा उद्योग इस समय अवसर और चुनौतियों के अद्भुत संयोजन से गुजर रहा है। विवाह और सर्दी के सीजन ने मांग को नई ऊँचाई दी है, जबकि कच्चे माल की कीमतें, भुगतान की स्थिति और चुनावी अनिश्चितता उद्योग की परीक्षा ले रही है। आने वाला वर्ष 2026 यह तय करेगा कि उद्योग इन चुनौतियों को कैसे संतुलित करता है और अवसरों का कितना लाभ उठाता है।
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