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डतण् डंदपेी ज्ञींदकमसूंस 
By Textile Mirror - 03-12-2025

ैनचमत ज्मगजपसम प्दकनेजतपमे भारत के टेक्सटाइल सेक्टर को सुधार की जरूरत 
नीति आयोग ने जारी की अहम सिफारिशें
नई दिल्ली/ भारत के टेक्सटाइल सेक्टर को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अनुरूप मजबूत बनाने के लिए नीति आयोग ने हाल ही में जारी अपने मूल्यांकन में कई महत्वपूर्ण सुधारों की आवश्यकता बताई है। निर्वाचन विवरण के आधार पर तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर टेक्सटाइल सेक्टर में आपूर्ति-श्रृंखला को आधुनिक और एकीकृत नहीं किया गया, लागत दक्षता नहीं बढ़ाई गई और पर्यावरणीय नियमों का सही पालन सुनिश्चित नहीं हुआ, तो वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति कमजोर पड़ सकती है।
नीति आयोग के अनुसार भारतीय टेक्सटाइल उद्योग की सबसे बड़ी चुनौतियों में बिखरी हुई सप्लाई चेन, कच्चे माल की ऊंची लागत, पुरानी टेक्नोलॉजी पर निर्भरता और बढ़ती अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा शामिल हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कई देश, विशेषकर वियतनाम, बांग्लादेश और चीन, तेजी से टेक्निकल टेक्सटाइल और मैनमेड फाइबर  के क्षेत्र में निवेश बढ़ा रहे हैं, जिससे भारत के लिए प्रतिस्पर्धा और कठिन हो रही है।
चुनाव आयोग डेटा के अनुसार, भारत में टेक्निकल टेक्सटाइल का बाजार क्षमता के मुकाबले अभी भी काफी पीछे है। देश में अभी भी पारंपरिक सूती वस्त्र उत्पादन पर अधिक निर्भरता है, जबकि वैश्विक मांग तेजी से एमएसएमई, परफ़ोरमेन्स फैब्रिक, नोन-वूवन मटेरियल, मेडिकल टेक्सटाइल, जियो-टेक्सटाइल और औद्योगिक वस्त्र की ओर बढ़ रही है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि इन हाई-वैल्यू सेगमेंट्स पर सरकार को अधिक नीति समर्थन, टैक्स राहत, अनुसंधान-विकास प्रोत्साहन और पूंजी निवेश योजनाएँ बढ़ानी चाहिए।
लागत दक्षता बढ़ाने को लेकर नीति आयोग ने बताया कि भारतीय मिलों में ऊर्जा लागत और लॉजिस्टिक्स खर्च कई प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में काफी अधिक हैं। इससे तैयार वस्त्रों की कीमतें बढ़ती हैं और निर्यात बाजार में प्रतिस्पर्धा प्रभावित होती है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि टेक्सटाइल क्लस्टरों में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, सस्ती ऊर्जा योजनाओं, और कुशल परिवहन नेटवर्क को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
पर्यावरणीय नियमों के संदर्भ में, नीति आयोग ने कहा कि वैश्विक बाजार में टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल उत्पादन सबसे बड़ी आवश्यकता बन चुकी है। कई देशों में ग्रीन सप्लाई चेन के बिना ऑर्डर मिलना मुश्किल होता जा रहा है। इसलिए भारत को वेस्ट मैनेजमेंट, पानी की खपत कम करने, रीसाइक्लिंग तकनीकें अपनाने और पर्यावरणीय प्रमाणन प्रणाली को मजबूत करना होगा।
रिपोर्ट के अनुसार, अगर ये सुधार समय पर लागू किए जाते हैं, तो भारत अगले कुछ वर्षों में टेक्सटाइल क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की मजबूत दावेदारी पेश कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सुधार भारत के विशाल टेक्सटाइल बेस को उच्च मूल्य वाले सेगमेंट में परिवर्तित कर वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिला सकते हैं।
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डवइण् 9351400471 
 

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