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पानीपत/ पानीपत टेक्सटाइल कारोबार में इन दिनों मंदा छाया हुआ है। हैंडलूम बाजार में दिन भर सन्नाटा पसरा रहता है। कारोबारियों की माने तो पहलगाम की घटना के बाद से ही ग्राहकी पर ब्रेक लगा है। दिसावरी ;अन्य प्रदेशों, शहरोंद्ध से ग्राहक आने बंद बराबर हो गए हैं। थोड़ी बहुत ग्राहकी शादी विवाह की हो पा रही है। हैंडलूम कारोबारियों ने बताया कि इन दिनों में मंदा हो ता है लेकिन इस बार ज्यादा मंदा है। छुटपुट ग्राहकी भी नहीं चल पा रही है। पाकिस्तान भारत विवाद के बाद तो जो ग्राहक अन्य प्रदेशों से आने थे भी नही आ पा रहे है।
फेरी वाले गायब-
पानीपत हैंडलूम का कारोबार जिसे बेडशीट से लेकर कर्टन क्लॉथ तक शामिल है। ज्यादातर फेरी वालों पर निर्भर रहा है। फेरी वाले यहां से माल खरीदकर अन्य प्रदेशों में घर-घर गली-गली मौहल्लों में बेडशीट, करटन क्लॉथ दरी, खेस, कंबल बेचने जाते हैं। लेकिन इन दिनों फेरी वाले आना बंद हो गए हैं। इन फेरी वालों में मुस्लिम भी अच्छी संख्या में होते हैं। पहलगाम में निर्दाेष पर्यटकों के मारे जाने के बाद यहां से कश्मीर में जाने वाले कपड़े की मांग भी कमजोर पड़ गई है। जम्मू कश्मीर में करोड़ों रुपये का होम फर्निशिंग गलीचे, कंबल, चद्दर, करटन क्लॉथ पानीपत से बिकने के लिए जाता है। कश्मीर में आतंकी घटना के बाद से माल नहीं जा रहा है। नए ऑर्डर आना बंद हो गए हैं।
टेक्सटाइल कारोबारी तरुण नागपाल बताते हैं कि भाव में कोई गिरावट नहीं है। कंबल का ऑफ सीजन होने के कारण भाव कम हुए हैं। इन दिनों बाजार मंे इक्का-दुक्का ग्राहकी निकल रही है। कारोबारियों की इंतजार है कि भारत-पाकिस्तान में हुई तनातनी के बाद हालात कब सही होते हैं?
उधर टेक्सटाइल का निर्यात तो बराबर चल रहा है। लेकिन भारत-पाक टेंशन के बीच विदेशों से बायर नहीं आ रहे हैं। आठ मई के बाद से तो दिल्ली तक आ चुके विदेशी बायर भी उलटा लौटना शुरू हो गए थे। हालांकि अभी शिपमेंट आदि पर असर नहीं हुआ है। यदि भारत-पाक का यु( लम्बा चलता तो स्थिति नुकसानदायक हो सकती थी। इसीलिए स्थितियों पर कारोबारियों की नजर है।
पानीपत से हर वर्ष 45000 करोड़ का टेक्सटाइल निर्यात होता है जबकि 50 हजार करोड़ की घरेलू मार्केट है।
राज्यवार टेक्सटाइल पॉलिसियों पर एक नजर . . .
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