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कोयंबटूर/भारत के टेक्सटाइल उद्योग की रीढ़ माने जाने वाले एमएसएमई ;एमएसएमईद्ध सेक्टर ने बैंकों की कार्यशील पूंजी से संबंधित क्रेडिट नीतियों में लचीलापन लाने की मांग उठाई है। कोयंबटूर स्थित द टेक्सटाइल एंड गारमेंट एमएसएमई एसोसिएशन ने हाल ही में एक संयुक्त प्रेस वार्ता में यह मुद्दा उठाया, जिसमें उन्होंने वर्तमान बैंकिंग नीतियों को उद्योग विरोधी बताया।
एसोसिएशन का कहना है कि कोविड-19 महामारी के बाद से टेक्सटाइल एमएसएमई इकाइयाँ लगातार वित्तीय दबाव में हैं। कच्चे माल की कीमतों में तेजी, निर्यात में गिरावट और घरेलू मांग में अस्थिरता ने इन उद्यमों के संचालन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। ऐसे में उन्हें कम ब्याज दरों, आसान पुनर्भुगतान शर्तों और तेज )ण स्वीकृति प्रक्रिया की अत्यंत आवश्यकता है।
मुख्य मांगें-
-कार्यशील पूंजी के लिए बैंक गारंटी की शर्तों में ढील।
-बिना किसी संपार्श्विक के 2 करोड़ रुपये तक के )ण की सुविधा।
-एमएसएमई की परिभाषा में कपड़ा इकाइयों के लिए विशेष छूट।
-रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय से क्रेडिट रेटिंग आधारित भेदभाव को समाप्त करने की अपील।
एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री आर. बालसुब्रमण्यम ने कहा कि हम सरकार से अपील करते हैं कि वह एमएसएमई सेक्टर के वित्तीय संरचना को मजबूत करने के लिए बैंकिंग नीतियों में आवश्यक बदलाव करे। वर्तमान स्थितियों में छोटे उद्यमियों को )ण प्राप्त करना अत्यंत कठिन हो गया है, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित हो रही है।
सरकारी प्रतिक्रियाएं-
वस्त्र मंत्रालय के अधिकारियों ने संकेत दिया है कि एमएसएमई की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए जल्द ही आरबीआई और वित्त मंत्रालय के साथ समीक्षा बैठक आयोजित की जाएगी। वहीं, राज्य सरकार ने भी टेक्सटाइल क्लस्टर्स में क्रेडिट सपोर्ट हेतु विशेष फाइनेंशियल हेल्पडेस्क स्थापित करने की घोषणा की है।
भारत का टेक्सटाइल एमएसएमई सेक्टर लाखों लोगों को रोजगार देता है और निर्यात में अहम योगदान करता है। यदि क्रेडिट नीतियों में आवश्यक लचीलापन नहीं लाया गया, तो इन इकाइयों का संचालन और अस्तित्व संकट में पड़ सकता है। उद्योग जगत को उम्मीद है कि सरकार सकारात्मक कदम उठाएगी और एमएसएमई सेक्टर को पुनः गति प्रदान करेगी।
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