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नई दिल्ली/ देश में कपड़े और होम-टेक्सटाइल ;बिस्तर, लिनन आदिद्ध पर लेबलिंग को लेकर सरकार द्वारा एक नया नियम लाने की तैयारी चल रही है। इसके तहत निर्माताओं और विक्रेताओं को अब अपने उत्पादों पर स्पष्ट लेबल देना अनिवार्य करना प्रस्तावित किया गया है, जिसमें निम्न जानकारियाँ शामिल होंगी-
- उपयोग किए गए फाइबर ;कपास, पोलिस्टर, मिश्रित आदिद्ध की जानकारी
- मूल देश यानी उत्पाद कहाँ बना है
- देखभाल निर्देश यानी कपड़ा कैसे धोना, सुखाना या प्रबंध करना चाहिए
यह पहल सरकार द्वारा लागू की गई नई मानकों व पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि इससे उत्पादों की गुणवत्ता, असली बनाम मिलावटी कपड़ों की पहचान और टिकाऊ वस्त्रों के पुनर्चक्रण में मदद मिलेगी।
सरकारी अधिकारियों ने बताया है कि अभी प्रारंभिक विचार-विमर्श चल रहे हैं। नियमों को लागू करने से पहले कई सुझाव लिए जा रहे हैं, और नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया अभी जारी है।
वर्तमान में कई कपड़ों और लिनन ;बिस्तर, रूम-टेक्सटाइलद्ध पर फाइबर की जानकारी नहीं होती जिससे उपभोक्ता यह नहीं जान पाते कि वे असली कपास खरीद रहे हैं या सस्ते पोलिस्टर/मिश्रित फैब्रिक। नया लेबलिंग नियम उपभोक्ताओं को ‘सही जानकारी’ देगा।
यह कदम ‘मेड-इन-इंडिया’ वस्तुओं और आयातित वस्तुओं के बीच अंतर स्पष्ट करने में मदद करेगा। विशेष रूप से, जब भारत ने कई व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, तब यह विदेशी मिलावटी वस्तुओं से घरेलू उद्योगों की रक्षा करेगा।
फाइबर-कम्पोजीशन जानने से यह पता चलेगा कि कपड़ा पुनर्चक्रण के योग्य है या नहीं जिससे पर्यावरण व टिकाऊ फैशन को बल मिलेगा।
संभावित असर- उपभोक्ता, बाजार और उद्योग
उपभोक्ताओं को खरीदारी करते समय बेहतर जानकारी मिलेगी, वे जान सकेंगे कि कपड़ा उनका त्वचा के अनुकूल है या नहीं, देखभाल कैसे करनी है और असली बनाम मिलावटी वस्त्रों में फर्क कर सकेंगे।
बाजार और रिटेलर्स कृब्रांड्स और दुकानदारों के लिए स्पष्ट लेबलिंग से पारदर्शिता बढ़ेगी, उन्हें भरोसेमंद ब्रांडिंग करना आसान होगा।
टेक्सटाइल उद्योग विशेष रूप से घरेलू निर्माताओं को फायदा मिल सकता है। आयातित सस्ते, मिलावटी वस्त्रों की तुलना में, गुणवत्तापूर्ण घरेलू वस्तुओं को बढ़ावा मिलेगा।
इस प्रस्तावित लेबलिंग नीति से न केवल उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा होगी, बल्कि भारत के टेक्सटाइल उद्योग में गुणवत्ता, पारदर्शिता और टिकाऊता की दिशा में एक नया युग शुरू होने की संभावना है।
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