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भारतीय फैशन और टेक्सटाइल मार्केट आज एक बड़े परिवर्तन काल से गुजर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में उपभोक्ता व्यवहार, उत्पादन तकनीक, ब्रांडिंग पैटर्न और रिटेल मॉडल में आए बदलावों ने पूरे उद्योग को नए ढांचे में ढाल दिया है। खासकर सिंथेटिक फैब्रिक, फ्यूजन वियर और फास्ट-फ़ैशन की बढ़ती लोकप्रियता ने घरेलू बाजार की दिशा और गति दोनों को बदल दिया है। यह परिवर्तन सिर्फ शहरों में ही नहीं, बल्कि टियर-2 व टियर-3 शहरों तक तेजी से फैल रहा है, जिससे टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए नए अवसर और चुनौतियाँ दोनों पैदा हो रही हैं।
सिंथेटिक फैब्रिक का उभारकृबदलती पसंद और किफायती विकल्प- क्लासिक कॉटन और रेयॉन की जगह आज पोलिएस्टर, स्पेन्डेक्स, लाइक्रा, विस्कोस-ब्लेंड और माइक्रो फाइबर जैसे सिंथेटिक फैब्रिक तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। इसके पीछे कई कारण हैं-कृ
-कम कीमत,
-आसान मेन्टेनेस,
-लंबी चलने वाली क्रीज-फ्री क्वालिटी,
-ट्रेंडी पैटर्न और हाई-परफोर्मेन्स उपयोग।
जिमवियर, ट्रेवल-वियर, ऑफिस-वियर और डे-टू-डे फैशन में सिंथेटिक्स ने युवाओं और मिडिल क्लास के बीच खास जगह बना ली है। भारतीय मौसम के अनुरूप आज कई कंपनियां ‘ब्रीदेबल सिंथेटिक फैब्रिक’ तैयार कर रही हैं, जिससे आराम और स्टाइल दोनों का संतुलन बना रहता है।
इसके कारण पावरलूम सेक्टर, निटिंग यूनिट्स और फैब्रिक प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में निवेश और उत्पादन दोनों तेजी से बढ़े हैं। कई ब्राण्ड अब अपनी पूरी कलेक्शन सिंथेटिक और ब्लेंडेड फाइबर पर आधारित लॉन्च कर रहे हैं।
फ्यूजन फैशनकृभारतीयता और आधुनिकता का मजबूत मेल
फ्यूजन वियर भारतीय फैशन उद्योग का सबसे तेज़ी से बढ़ता सेगमेंट है। युवा पीढ़ी खास तौर पर ऐसी ड्रेसिंग पसंद कर रही है जो पारंपरिक स्टाइल को मॉडर्न डिज़ाइन के साथ मिलाए।
कुर्ता विद जींस, इंडो-वेस्टर्न गाउन, एथेनिक-फ्यूजन टॉप, असमेट्रिकल ड्रेप्स, कंटेम्परेरी प्रिंट और वेस्टर्न-कट सलवारकृइन सबने बाजार में नया स्पेस बनाया है। फ्यूजन मार्केट की बढ़त के मुख्य कारण हैंकृ-
- सोशल मीडिया और इन्फ्लुएंसर्स का प्रभाव
- आसान ऑनलाइन उपलब्धता
- कॉर्पाेरेट कल्चर में बदलती ड्रेसिंग ट्रेंड
- त्योहारों और वेडिंग सीज़न में मॉडर्न-एथेनिक की डिमांड
इस ट्रेंड ने हैंडलूम, प्रिंटिंग यूनिट्स और डिजाइनर्स को भी नया प्लेटफॉर्म दिया है। ब्रांड अब हर सीज़न फ्यूजन कलेक्शन लॉन्च करते हैं क्योंकि यह सेगमेंट सबसे तेज़ी से रिटर्न देता है।
फास्ट-फ़ैशनकृनए डिजाइन, कम कीमत और तेजी से बदलते ट्रेंड
फास्ट-फ़ैशन ने घरेलू मार्केट में बड़ा बदलाव किया है। बड़े ब्रांडों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स ने हर 2दृ3 सप्ताह में नई कलेक्शन लॉन्च करने का मॉडल अपनाया है। खासकर जेन-जी उपभोक्ता तेजी से बदलते फैशन को अपनाने में आगे हैं।
फास्ट-फ़ैशन की वृ(ि को बढ़ावा देने वाले कारककृ
-ऑनलाइन शॉपिंग का बड़ा विस्तार
- छोटे ब्रांड्स के लिए सोशल मीडिया एक बड़ा मार्केट
- कम लागत में बड़े पैमाने पर उत्पादन
- डिजाइन कॉपी से लेकर माइक्रो-ट्रेंड तक की तेज उपलब्धता
इसका सीधा असर देश के सप्लाई-चेन मॉडल, कटिंग यूनिट्स, गारमेंट मैन्यूफैक्चरिंग और प्रिंटिंग बिजनेस पर पड़ा है। उत्पादन की गति और स्केल दोनों बढ़े हैं, हालांकि इसके साथ क्वालिटी और पर्यावरणीय चुनौतियाँ भी जुड़ी हैं।
आगे का रास्ताकृउद्योग के लिए अवसर और चुनौतियाँ
भारत का टेक्सटाइल मार्केट आने वाले वर्षों में इससे भी अधिक डायनेमिक होने जा रहा है।
- सिंथेटिक फैब्रिक में इनोवेशन
- पर्यावरण-अनुकूल फास्ट-फ़ैशन
- री-सायकल्ड फैब्रिक
- डिजिटल डिजाइनिंग
- एआई-आधारित ट्रेंड फोरकास्टिंग
ये सभी क्षेत्र उद्योग के लिए नई दिशा तय करेंगे। हालांकि स्थानीय उद्योगों को कस्टमर की बदलती पसंद, प्रोडक्शन लागत, ब्राण्डिंग और ऑनलाइन प्रतिस्पर्धा से तालमेल बैठाना होगा।
घरेलू फैशन मार्केट आज सिर्फ कपड़ा नहीं, बल्कि ‘लाइफस्टाइल और एक्सप्रेशन’ बन चुका है। सिंथेटिक फैब्रिक की व्यावहारिकता, फ्यूजन वियर का सांस्कृतिक संतुलन और फास्ट-फ़ैशन की गतिकृतीनों मिलकर भारत में फैशन क्रांति का नया दौर बना रहे हैं। भारतीय टेक्सटाइल उद्योग के लिए यह बदलाव चुनौती भी है और बड़ा अवसर भी।
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