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मुंबई/ गारमेण्ट में वैवाहिक सीजन की ग्राहकी अच्छी होने से हाल खुदरा बिक्री बढ़ी है। मई के पहले सप्ताह तक खुदरा कारोबार में तेजी रहने की संभावना है। रिटेलर्स नई वेराइटी में मजबूत कामकाज कर रहे है। गारमेण्ट की खुदरा बिक्री धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। गारमेण्ट इकाइयों में कामकाज पहले की तरह होने लगा है। लेकिन कारखानों में उत्पादन अभी भी पूरी क्षमता से नहीं हो रहा है। रिटेलर्स की मांग नई वेराइटी में जरूर बढ़ी है, परंतु यह सीजन में अधिक से अधिक बिकने वाले फैंसी और एथेनिक वियर मेें है। वैवाहिक सीजन का पहला दौर मई के पहले सप्ताह तक होने से रिटेलर्स बड़ी खरीदी करने से बच रहे हैं और छोटे लॉट में अधिक खरीदी करने पर जोर दे रहे है।
फैंसी वेराइटी गारमेण्ट में कामकाज अधिक होने के कारण शर्ट और ट्राउजर्स की मांग नहीं बढ़ रही है। मांग में तेजी नहीं होने का दूसरा कारण मेंस वियर में प्रतिस्पर्धा अधिक है। स्वदेशी ब्रांड के साथ विदेशी ब्रांडों की बाजारों में पैठ बढ़ी है। ऑनलाइन चैनलों के मार्फत कारोबार अधिक होने से ऑफलाइन स्टोरों के कामकाज पर बुरा असर पड़ा है। विदेशी ब्राण्डों में ग्राहकों के आकर्षण का कारण मूल्य में एक जैसी समानता का होना भी है। ऊंची कीमत के गारमेण्ट पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगने के कारण लोगों की पसंदगी विदेशी ब्रांडों की ओर बदली है। मीडियम सेग्मेंट के गारमेण्ट में कारोबार आज भी अधिक हो रहा है। वैल्यूएबल महंगे गारमेण्ट की बिक्री में अंतर जीएसटी के कारण भी है।
भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ पर जल्द ही समाधान होने की सुगबुगाहट से निकट भविष्य में गारमेण्ट का निर्यात बढ़ने की संभावना है। अभी ऊंचे टैरिफ के कारण अमेरिका में गारमेण्ट के निर्यात को झटका लगा है, लेकिन यूरोप की ओर गारमेण्ट का निर्यात कामकाज अच्छा हो रहा है। ऐसी रिपोर्ट है कि गारमेण्ट निर्यात में लगी कुछ इकाईयों ने वैकल्पिक बाजारों और अन्य माध्यमों से निर्यात स्तर को तटस्थ रखने की कोशिश की है। भारत से अमेरिका में निर्यात घटने के बाद जहां भारत की तुलना में टैरिफ कम है, ऐसे देशों में एकाएक मांग बढ़ी है। लेकिन अब ट्रम्प की ओर से संकेत मिल रहा है कि भारत और अमेरिका के बीच बातचीत पटरी पर है और भारत के टैरिफ कम हो सकते है।
उद्योग सूत्रों का कहना है कि भले ही 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद भारतीय निर्यातकों ने यूरोप, दक्षिण अमेरिका, ऑस्टेªलिया, न्यूजीलैंड और सूदूर पूर्व के देशों में भारतीय कपड़ों का निर्यात बढ़ाया है। लेकिन सच है कि अमेरिका के हैवी टैरिफ के बाद भारत से गारमेण्ट एवं अन्य कपड़ों की मांग पर विपरीत असर पड़ा है। इसकी भरपाई वैकल्पिक बाजारों से नहीं हो सकती है, कारण कि अमेरिका भारत के लिए एक बड़ बाजार है। यदि भारत पर टैरिफ पहले की तरह 25 प्रतिशत कर दिया जाता है, तो भी भारत से गारमेण्ट एवं कपड़ों का निर्यात बढे़गा। यदि कपडों एवं गारमेण्ट के निर्यात बढ़ता है तो देश में इस क्षेत्र में नये निवेश के लिए रास्ते भी खुल सकते हैं, जो अभी धीमा पड़ा है।
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