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कपड़ा उद्योग में त्योहारों से रौनक, लेकिन अमेरिकी टैरिफ से बढ़ी चिंता
By Textile Mirror - 23-08-2025

इचलकरंजी/ अगस्त 2025 की शुरुआत में कपड़ा उद्योग एक मिश्रित तस्वीर पेश कर रहा है। एक ओर मानसून की समय पर और पर्याप्त बारिश से किसानों और स्थानीय व्यापारियों के चेहरों पर रौनक है, तो दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीति के मोर्चे पर नई चुनौतियाँ सामने आ रही हैं।
कपास उत्पादन में गिरावट, कीमतों पर असर का अनुमान
कृकृषि विभाग के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, इस सीजन में कपास की बुवाई क्षेत्र में करीब 25 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। उत्पादन में इस गिरावट के कारण आने वाले महीनों में सूती धागे और कपड़ों की कीमतों में तेज़ी की संभावना है। फिलहाल स्थानीय सूत बाजार में कीमतें स्थिर हैं, लेकिन व्यापारी मानते हैं कि सितंबर से इसमें बढ़ोतरी का रुख देखने को मिल सकता है।
स्थानीय बाजार में मांग का सुधार
ग्रे कपड़े और फिनिश्ड फैब्रिक की मांग में पिछले पखवाड़े से सुधार दिखा है। पावरलूम, ऑटो लूम और हैंडलूम सेक्टर में उत्पादन रफ्तार पकड़ रहा है। व्यापारी मानते हैं कि गणेशोत्सव से लेकर दीपावली तक का सीजन कारोबार के लिए सबसे अहम रहेगा। रक्षाबंधन के दौरान हुई अच्छी बिक्री ने बाजार का माहौल और भरोसा, दोनों मजबूत किया है।
पावरलूम एसोसिएशन की वार्षिक सभा में विकास के ऐलान
इचलकरंजी पावरलूम एसोसिएशन की वार्षिक बैठक में पूर्व मंत्री प्रकाश आवाडे ने वस्त्रनगरी को ‘एक्सपोर्ट सिटी’ के रूप में विकसित करने की योजना का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि-कृ
-गुणवत्तापूर्ण उत्पादन और आधुनिक तकनीक अपनाने पर जोर दिया जाएगा।
-बिजली समस्या के स्थायी समाधान के लिए सोलर योजना लागू करने पर विचार हो रहा है।
-अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नए अवसर तलाशने के लिए निर्यातकों को सहयोग मिलेगा।
-एसोसिएशन के चेयरमैन चंद्रकांत पाटील ने टफ योजना की पुनः शुरुआत, कल्याणकारी बोर्ड की स्थापना और महिला उद्यमियों के लिए वस्त्रोद्योग प्रशिक्षण केंद्र की मांग रखी।
अमेरिकी टैरिफ से निर्यात पर खतरा
अमेरिका द्वारा भारतीय कपड़ा उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का फैसला निर्यातकों के लिए चिंता का बड़ा कारण बन गया है। इससे अमेरिकी बाजार में भारतीय कपड़ों की प्रतिस्पर्धात्मकता घट सकती है। विशेषज्ञों का मानना है किकृ
-निर्यात ऑर्डरों में 15-20 प्रतिशत तक गिरावट आ सकती है।
-उत्पादन यूनिट्स में आंशिक कामबंदी का खतरा है।
-रोजगार के अवसरों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
-संभावित समाधान और रणनीतियाँ
-उद्योग जगत के विशेषज्ञ और व्यापारी मानते हैं कि इस चुनौती से निपटने के लिएकृयूरोप, मिडिल ईस्ट और अफ्रीका जैसे नए बाजारों पर फोकस करना होगा।
-डिज़ाइन, प्रिंट और पैकेजिंग में नवाचार करना ज़रूरी है।
-सरकारी प्रोत्साहन योजनाओं और निर्यात सब्सिडी का लाभ उठाना होगा।
-ई-कॉमर्स और डायरेक्ट-टू-कस्टमर चौनल पर ध्यान देना होगा।
-त्योहारी सीजन की उम्मीदें
रक्षाबंधन के बाद बाजार में कपड़ों और रेडीमेड गारमेंट के ऑर्डर में तेज़ी आई है। गणेशोत्सव, नवरात्रि, दशहरा और दीपावली के दौरान ग्राहकों की खरीदारी से उम्मीद है कि हालिया मंदी का असर कुछ हद तक कम हो जाएगा।
इचलकरंजी के वरिष्ठ व्यापारी राजेंद्र पाटील कहते हैंकृ‘त्योहारों के ऑर्डर अच्छे हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय टैरिफ का असर अगर लंबे समय तक रहा, तो हमें उत्पादन और मार्केटिंग रणनीति में बदलाव करना पड़ेगा।’
कुल मिलाकर, इचलकरंजी का कपड़ा उद्योग अभी अवसर और चुनौतीकृदोनों के मोड़ पर खड़ा है। आने वाले तीन से चार महीने यह तय करेंगे कि यह रफ्तार उत्सव की तरह चमकेगी या टैरिफ की छाया में धीमी पड़ जाएगी।

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