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भारतीय कपड़ा उद्योग को नई ऊंचाइयों की ओर अग्रसर
नई दिल्ली/ भारत सरकार ने कपड़ा क्षेत्र को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनाने के उद्देश्य से श्कपास उत्पादकता मिशनश् और तकनीकी उन्नयन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। केंद्रीय बजट 2025-26 में कपड़ा मंत्रालय के लिए 5,272 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 19 प्रतिशत की वृ(ि दर्शाता है।
कपास उत्पादकता मिशन: किसानों की आय बढ़ाने की पहल
कपास की स्थिर उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार के लिए पांच वर्षीय ‘कपास उत्पादकता मिशन’ की घोषणा की गई है। इस मिशन का उद्देश्य विशेष रूप से अतिरिक्त लंबे स्टेपल कपास की किस्मों के उत्पादन को बढ़ावा देना है, जिससे उच्च गुणवत्ता वाले कपास की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित हो सके। मिशन के अंतर्गत किसानों को वैज्ञानिक और तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी, जिससे उनकी आय में वृ(ि होगी और भारत की कपड़ा उद्योग में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
तकनीकी उन्नयन: आधुनिक मशीनरी से उत्पादन में वृ(ि
कपड़ा उद्योग के आधुनिकीकरण के लिए सरकार ने शटल-रहित करघों जैसे रेपियर लूम और एयरजेट लूम पर सीमा शुल्क को शून्य कर दिया है। इससे उच्च गुणवत्ता वाली मशीनरी की लागत कम होगी, जिससे बुनाई क्षेत्र में उत्पादन क्षमता और गुणवत्ता में सुधार होगा। इसके अलावा, नौ वस्तुओं को शुल्क मुक्त इनपुट की सूची में शामिल किया गया है, जिससे हस्तशिल्प और अन्य कपड़ा उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
स्थानीय उद्योग को समर्थन: सीमा शुल्क में संशोधन
सरकार ने नौ टेरिफ लाइनों के अंतर्गत आने वाले बुने हुए कपड़ों पर मूल सीमा शुल्क दर को 10 प्रतिशत या 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत या 115 रुपये प्रति किलोग्राम, जो भी अधिक हो, कर दिया है। इससे भारतीय बुने हुए कपड़े निर्माताओं की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होगा और सस्ते आयात पर अंकुश लगेगा।
कपास उत्पादकता मिशन और तकनीकी उन्नयन की ये पहलें भारतीय कपड़ा उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने, किसानों की आय बढ़ाने और देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
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