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मुंबई/ त्यौंहारों के कारण अभी तक मंडियों में आवक में तेजी नहीं आई है। अब तक कुल 12 से 13 लाख गांठ की आवक का अनुमान है। आवक में अच्छी क्वालिटी की रूई की कमी है। इस कारण कुछ कपास उगाने वाले राज्यों में भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम मिल रहे हैं। महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों में कपास में नमी का प्रमाण अधिक है। वारंगल जिले के किसानों का कहना है कि भाव घटा है, क्योंकि उनके कपास में नमी निर्धारित प्रमाण से अधिक है। जबकि नमी का प्रमाण 8 से 12 प्रतिशत के बीच होना चाहिए। यदि अधिक होता है, तो ऐसे कपास को स्वीकार करना कठिन होता है। कुछ मामले में नमी का यह प्रमाण 20 से 25 प्रतिशत तक पाया गया है।
कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ललित कुमार गुप्ता का कहना है कि किसानांे को अपनी उपज प्राप्ति केंद्रांे तक ले जाने से पहले सुखाना चाहिए। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रमुख अतुल गणात्रा का कहना है कि उनकी संस्था ने कपड़ा मंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि सीसीआई 18 प्रतिशत की नमी के साथ कपास की खरीदी करे। किसान अधिक समय तक अपने घर में उपज नहीं रख सकते है। इधर बेमौसमी बारिश के कारण कपास में अधिक नमी होने की शिकायत है। किसानों को कम भाव पर अपनी उपज बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। रिपोर्ट ऐसी भी आ रही है कि खेतांे से कपास की चुनाई करने के लिए जरूरी श्रमिक बल का भारी अभाव है।
सीसीआई सूत्रों का कहना है कि पिछले सीजन की तुलना में अभी तक आवक करीब 4 लाख गांठ कम हुई है। बेमौसमी बारिश के कारण 19 लाख हेक्टेयर में कपास की फसल को नुकसान होने की रिपोर्ट है। इस समय बाजार में कपास का भाव प्रति क्विंटल 6500 से 6600 रुपये के बीच है, जो निर्धारित एमएसपी से कम है। व्यापारियों का कहना है कि आगामी सप्ताह से आवक बढ़ने की आशा है। बारिश बंद हो चुकी है। आसमान में तेज धूप खिल रही है, इससे नमी की समस्या भी कम हो जाएगी। हरेक प्राप्ति केंद्रों में नमी मापने की मशीन होती है। किसानों अपनी उपज की जांच स्वयं कर सकते हैं। बाजार में मंदी को देखते हुए कुछ दिनों तक किसानों को इंतजार करना पड़ सकता है।
कम भाव मिलने के कारण महाराष्ट्र के अधिकांश किसान कपास की बिक्री कम कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर रूई के उत्पादन में महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर आता है। राज्य में 40 लाख से अधिक किसान कपास की खेती करते हैं। बडे़ स्तर पर कपास की खेती किए जाने के बावजूद रूई का आयात किए जाने की खबरों से किसानों में कपास का भाव कम होने की चिंता बढ़ी है। सीसीआई के पास अभी भी लाखों गांठ रूई का स्टॉक है। एक ओर बाजारों में रूई की आवक बढ़ रही है, आगे अच्छी क्वालिटी की रूई अधिक आनी शुरू हो जाएगी, फिर भी आयात किया जाता है, तो देश में रूई के भाव में और गिरावट आ सकती है, जबकि अभी किसानों को एमएसपी का भी भाव नहीं मिल रहा है।