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उत्पादन-लागत कम करने का रोडमैप तैयार 
By Textile Mirror - 24-11-2025

भारत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़त दिलाने की पहल
नई दिल्ली/भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय ने देश की टेक्सटाइल और परिधान उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए एक ‘उत्पादन-लागत कम करने का रोडमैप’  तैयार किया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य वस्त्र उत्पादों की लागत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी दायरे में लाना और निर्यात को तेज़ गति से बढ़ाना है।
रोडमैप के प्रमुख बिंदु
इस नीति को तीन चरणों में लागू किया जाएगा कृ
1. अल्पकालिक ;2 वर्षद्ध- कच्चे माल, बिजली और परिवहन पर लगने वाले लागत-भार को कम करने के उपाय।
2.  मध्यम अवधि ;5 वर्षद्ध- टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए नीतिगत समर्थन।
3. दीर्घकालिक ;2030 तकद्ध- भारत को वस्त्र-निर्यात में आत्मनिर्भर बनाना और ‘ग्लोबल टेक्सटाइल हब’ के रूप में स्थापित करना।
मंत्रालय ने इस रोडमैप के तहत कॉटन और मैनमेड फाइबर दोनों सेक्टरों पर समान बल देने की घोषणा की है। साथ ही, सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक वस्त्र निर्यात को 100 अरब रुपये तक पहुँचाया जाए।
मुख्य सुधार क्षेत्रों पर फोकस
- रॉ-मैटेरियल की उपलब्धता को सस्ता और स्थिर बनाने के लिए नई नीति पर विचार।
- लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्टेशन लागत घटाने के लिए ‘समर्पित कपड़ा माल ढुलाई कोरिडोर’ की योजना।
- ऊर्जा-कुशल टेक्सटाइल पार्कों के निर्माण को बढ़ावा।
- कर-संरचना को सरल बनाकर एमएसएमई इकाइयों को राहत देने का प्रस्ताव।
- उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
- टेक्सटाइल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल और सिटी ने इसे ‘भारत के लिए निर्णायक कदम’ बताया है।
- भीलवाड़ा, सूरत और तिरुप्पुर के उद्योगपतियों का कहना है कि यह योजना वस्त्र निर्माण की लागत-प्रतिस्पर्धा को बहाल करेगी और वैश्विक ऑर्डर्स की दिशा भारत की ओर मोड़ सकती है।
यह ‘उत्पादन-लागत कम करने का रोडमैप’ भारत की वस्त्र नीति का नया अध्याय है, जो मेक-इन-इंडिया और एक्सपोर्ट-लक्षम-2030 विज़न को मज़बूत आधार देगा। यदि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो भारत आने वाले पाँच वर्षों में चीन और बांग्लादेश जैसे देशों के समकक्ष वैश्विक वस्त्र निर्यात में अग्रणी स्थान हासिल कर सकता है।

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