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अमेरिका की आयात कर नीति भारतीय वस्त्रोद्योग की सहयोगी
कोल्हापुर/ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा कि उन्हें आयात शुल्क नीति के तहत वस्त्रोद्योग को लाभ होने की संभावना है। अमेरिका में प्रमुख रूप से चीन, बांग्लादेश, वियतनाम और भारत इन तीन देशों के ओर से कपड़े का मिश्रण होता है। इसमंे से भारत की ओर से सबसे कम टेक्स के ऑफर की घोषणा की गई है।
भारत यह वस्त्रोद्योग निर्मित और संयुक्त राष्ट्र में दुनिया में अघाड़ी का देश है। 2023 में भारत ने कपड़ा और तैयार कपड़ा ने विश्व में 6वाँ स्थान हासिल किया है। 2023-24 में कपड़े के जगतिक व्यापार में देश का हिस्सा 3.8 प्रतिशत था। देश से जुड़ने वाला कपड़ा और तैयार कपड़ा या अमेरिका के साथ यूरोपीय अर्थशास्त्री स्थित मार्केट पेठ में भेजा जाता है।
जैसाकि अमेरिका सधन देश संयुक्त राष्ट्र के लिए बड़ी महत्वपूर्ण बाजारपेठ है। अमेरिका को कपड़ा निर्यात करने वाले देश में आज तक चीन आघाडी पर है। 2024 में चीन में 36.1 अरब डॉलर ;29.6 प्रतिशतद्ध की हिस्सेदारी थी। उसके बाद 15.5 अरब डॉलर का पार्टिशनवाला ;12.7 प्रतिशतद्ध वियतनाम दूसरे स्थान पर था। जबकि भारत ने 9.71 अरब डॉलर ;7.8 प्रतिशतद्ध संयुक्त कर तीसरा स्थान हासिल किया था। उसके बाद बांग्ला देश ने 7.49 अरब डॉलर ;6.14 फ़ीसदीद्ध प्रति व्यक्ति की थी। अमेरिका में 2024 में कुल 107 अरब डॉलर पैदा हुए थे। दुनिया के वस्त्रोद्योग औद्योगिक बाजार की तुलना में यह आंकड़ा 11 फीसदी है।
चीन, बांग्ला देश पर असर
अमेरिका के नए आयात कररचना में अलग-अलग देशों के तयार कपड़ों पर आरोप लगाया जाएगा। इसमें प्रमुख पूर्वोत्तर देश के बारे में सोचे तो यह प्रस्ताव मुख्य रूप से चीन, बांग्लादेश और भारत के बीच है। ट्रम्प प्रशासन ने चीन के लिए 54, बांग्लादेश के लिए 37 और भारत पर 26 प्रतिशत नए शुल्क की घोषणा की। चीन को भारत में कपड़ा बनाने के लिए बड़ा मौका मिल रहा है। सिर्फ चीन के बारे में सोचे तो इससे पहले 34 प्रतिशत होने वाले सामान में लगभग 20 प्रतिशत की खरीददारी होती है।
नई कर नीति में चीन, कंबोडिया, वियतनाम, श्रीलंका इन देशों के वस्त्रोत्पादन अमेरिका के बाजारपेठ के लिए मशीनरी होगी। इंडोनेशिया, पाकिस्तान, यूरोपियन संघ, तुर्किस्तान आदि देशों का कपड़ा, तैयार कपड़े की तुलना सस्ते होंगे। लेकिन इस उद्योग के स्टार्टअप के लिए देखें तो चीन, वियतनाम, श्रीलंका, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, कंबोडिया, श्रीलंका से ज्यादा भारतीय वस्त्रोत्पादन सर्वोपरि होंगे।
- श्री विश्वनाथ अग्रवाल ;पूर्व चैयरमेन, पीडिक्सीलद्ध
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