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इन्दौर/ कपड़ा बाजार की स्थिति असमंजस वाली स्थिति में है। होली के बाद गणगौर, लग्नसरा व रमजान इन त्यौहारों में बाजारों में चहल-पहल बढ़ जाती थी। इस साल ये त्यौहार के हिसाब से बाजारों में वह उत्साह नहीं था जो विगत वर्षों में रहा, फ्लॉप तो नहीं कहंेगे पर आशाजनक भी नहीं रहा।
पहले व्यापारी वर्ग दीपावली से आषाढ माह तक के व्यापारी में अपना साल भर का खर्चा निकाल लेता था पर इस साल वैसा व्यापार नहीं रहा। मालवा की कहावत है, आखातीज ऑंखा मीच, नरहसिंह जी कुदी गया अर्थात दीपावली के बाद से वैशाख माह के अंत तक व्यापार अच्छा चलता आया है और वैशाख सुदी चर्तुदशी, नरसिंह जयन्ती के बाद पूर्ण रूपेण व्यापार नहीं चलता, फिर बरसात आ जाती है।
गारमेण्ट व्यवसाय में यूनिफॉर्म में भी व्यापारी कम रहा। किड्स, लेडीज व मेन्सवियर में भी व्यापार कम रहा।
व्यापारी वर्ग आशान्वित है कि अब व्यापार अच्छा चलेगा।
राज्यवार टेक्सटाइल पॉलिसियों पर एक नजर . . .
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