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मुंबई/ रूई की आवक घट रही है, जबकि वैश्विक उत्पादन एवं मांग बढ़ने का अनुमान है। रूई के कुल वैश्विक उत्पादन में भारत का हिस्सा 22 प्रतिशत है। वैश्विक बाजारों के नरम रूख के कारण निर्यात में अधिक कामकाज की संभावना नहीं है। स्पिनिंग मिलों में रूई की मांग अपनी जरूरतों के अनुसार है। रूई के भाव पर दबाव बना हुआ है, लेकिन भाव अधिक घटने की संभावना कम दिखाई दे रहा है। रूई का भाव 53000 से 54000 रूपये की रेंज में रहने का अनुमान है। रूई की आवक लगातार घट रही है। पहले दैनिक आवक 2.5 लाख गांठ थी, अब घटकर 1.75 लाख गांठ है। महाराष्ट्र और गुजरात मेंआवक जारी है। आंध्रप्रदेष और तेलंगाना में कपास की आवक समाप्त हो चुकी है।
कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने 30 सितम्बर 2025 को समाप्त होने वाले मौजूदा सीजन में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 100 लाख गांठ से अधिक कपास की खरीदी कर सकता है। सीसीआई के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ललित गुप्ता के अनुसार एक अक्टूबर 2024 से अब तक करीब 88 लाख गांठ की खरीदी की है। अभी बाजार में सक्रिय है। किसान अपनी उपज सीसीआई को बेचना चाहते है। चालू सीजन में देश के मध्य एवं दक्षिणी हिस्सों के कुछ उत्पादन क्षेत्रों में अधिक पैदावार होने के कारण प्रारंभिक अनुमान की तुलना में अब देश में कपास उत्पादन कुछ अधिक होने की संभावना है। देश में कुल उत्पादन दो लाख गांठ बढ़कर 304.25 लाख गांठ रहने का अंदाजा है।
जबकि कपास उत्पादन एवं खपत समिति ने चालूवर्ष के लिए कुल उत्पादन 300 लाख गांठ का है। इसमें से 210 लाख गांठ बाजार में आ चुकी है। सीसीआई के पास रूई का जो स्टॉक है, उसे बेचने के बारे में एकाध सप्ताह बाद निर्णय ले सकता है। बाजार में चर्चा है कि फरवरी अंत में अथवा मार्च से सीसीआई रूई की बिक्री शुरू कर सकता है। वर्ष 2024 में जनवरी से नवम्बर के दौरान कपड़ों का निर्यात अच्छा रहने के कारण रूई की खपत भी अच्छी थी, लेकिन अभी रूई का बाजार बहुत आकर्षक नहीं लग रहा है। रूई के भाव में बहुत अधिक उछाल अथवा गिरावट की संभावना कम है, परंतु यदि भाव में सुधार होता भी है, तो भाव प्रति खंडी 54000 रूपये तकपहुंच सकता है।
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