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कपास की कीमतों और जीएसटी राहत से नई उम्मीद
इचलकरंजी/महाराष्ट्र का कपड़ा उद्योग इस समय दो विपरीत परिस्थितियों से गुजर रहा हैकृएक ओर कपास उत्पादन में कमी और कीमतों में तेजी, तो दूसरी ओर जीएसटी काउंसिल की हालिया राहतें। इन सबके बीच त्योहारी मांग ने बाजार में नई जान फूंक दी है।
कपास और सूत बाजार
कृकृषि विभाग के अनुमानों के अनुसार, इस वर्ष कपास उत्पादन पिछले साल से करीब 20 प्रतिशत कम रह सकता है। शुरुआती बुवाई में देरी और कम बारिश इसके मुख्य कारण हैं। उत्पादन घटने से कपास के भाव में 5-7 प्रतिशत की तेजी आई है। परिणामस्वरूप, स्पिनिंग मिलों ने सूत की कीमतों में 3-5 प्रतिशत की वृ(ि की है। हालांकि लागत बढ़ी है, फिर भी त्योहारी मांग के चलते सूत की खपत मजबूत बनी हुई है।
ग्रे कपड़ा और रेडीमेड सेक्टर में बढ़ी मांग
इचलकरंजी और आसपास के इलाकों में ग्रे कपड़े की मांग पिछले 15 दिनों में 15-20 प्रतिशत बढ़ी है। पावरलूम और ऑटो लूम उद्यमियों को न सिर्फ ज्यादा काम मिल रहा है, बल्कि जॉब रेट में भी 10-12 प्रतिशत सुधार हुआ है।
रेडीमेड गारमेण्ट सेक्टर में सबसे ज्यादा तेजी देखी जा रही है। गणेशोत्सव, नवरात्रि और दीपावली के ऑर्डर्स से उद्यमियों के कारोबार में 25-30 प्रतिशत की वृ(ि हुई है। पारंपरिक पोशाकों जैसे साड़ी, कुर्ती, लहंगा और शेरवानी की मांग विशेष रूप से बढ़ी है। ग्राहकों की पसंद भी बदल रही हैकृअब वे पारंपरिक परिधानों में आधुनिक डिजाइनों और पेस्टल रंगों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
प्लास्टिक मुक्त अभियान से नए अवसर
कोल्हापुर जिले में जिलाधिकारी अमोल येडगेजी की पहल पर ‘लास्टिक मुक्त अभियान’ शुरू हुआ है। इसमें नागरिकों से कपड़े की थैली इस्तेमाल करने का आह्वान किया गया। इस कदम से स्थानीय कपड़ा उद्यमियों के लिए नए अवसर खुले हैं। कपड़े की थैलियों की मांग बढ़ रही है, जिससे छोटे और मध्यम उद्योगों को स्थिर बाजार मिलेगा और रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
जीएसटी राहत से उद्योग को सहारा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई हालिया जीएसटी काउंसिल बैठक ने कपड़ा उद्योग को बड़ी राहत दी है। अब 2,500 रुपये तक के रेडीमेड कपड़ों पर जीएसटी दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है। मानव निर्मित फाइबर और यार्न पर भी कर घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर की समस्या समाप्त होगी और कार्यशील पूंजी पर दबाव कम होगा। निर्यातकों के लिए रिफंड और पंजीकरण प्रक्रिया सरल बनाने से अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में भी मदद मिलेगी।
कपास की महंगाई उद्योग के लिए चुनौती है, लेकिन मजबूत त्योहारी मांग, जीएसटी राहत और स्थानीय पहलों ने बाजार में विश्वास जगाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह त्योहारी सीजन उद्योग और व्यापार दोनों के लिए रिकॉर्ड अवसर लेकर आएगा।