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पिलखुवा/पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख कपड़ा निर्माण केंद्रों में से एक पिलखुवा इन दिनों मंदी के दौर से गुजर रहा है। कपड़ा उद्योग से जुड़े व्यापारियों और निर्माताओं को तैयार माल की बिक्री न होने से कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय कारखानों में कामकाज में गिरावट दर्ज की जा रही है और इसका सीधा असर कपड़ा आपूर्ति श्रृंखला पर दिखाई दे रहा है। निर्यात ऑर्डरों में गिरावट के कारण कारखानों के पास उत्पादन की गति धीमी हो गई है और समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती बन गया है।
सूत्रों के अनुसार, हल्के धागों से निर्मित कपड़ों की मांग अभी भी घरेलू बाजारों में बनी हुई है, लेकिन भारी कपड़ों और थोक ऑर्डरों में कमजोरी देखी जा रही है। कपड़ा मंडियों में धागे की उठाव दर घट गई है, जिससे सूत मिलों की चिंता बढ़ रही है। सूत उत्पादक मिलें अपने स्टॉक को कम करने के लिए लगातार मंडियों पर दबाव बना रही हैं, लेकिन तैयार कपड़ों की मांग में कमी के कारण धागे की खपत में अपेक्षित तेजी नहीं आ रही।
व्यापार से जुड़े लोगों का कहना है कि वैश्विक स्तर पर चल रहे यु( और भू-राजनीतिक तनाव के कारण निर्यात बाजार में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। रूस-यूक्रेन और इज़राइल-ईरान जैसे संघर्षों ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में विश्वास को कमजोर किया है। जब तक इन परिस्थितियों में स्थिरता नहीं आती, तब तक टेक्सटाइल एक्सपोर्ट के पुनरुत्थान की संभावनाएं सीमित हैं।
घरेलू बाजार की स्थिति भी बहुत उत्साहजनक नहीं है। स्थानीय खरीदारों की ओर से उम्मीद के मुताबिक मांग नहीं निकल रही है, जिससे बाजार की रफ्तार धीमी बनी हुई है। हालांकि, व्यापारी उम्मीद जता रहे हैं कि आगामी त्योहारों की श्रृंखला रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, नवरात्रि और दीपावली जैसे पर्व कपड़ा व्यापार में तेजी लाने में सहायक सि( हो सकते हैं।
फिलहाल पिलखुवा के व्यापारी भविष्य में संभावित मांग को ध्यान में रखते हुए अपने व्यवसाय को संभालने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि स्थिति चुनौतीपूर्ण है, लेकिन त्योहारों और शादी-ब्याह के सीजन से पहले बाजार में रौनक लौटने की संभावनाएं बनी हुई हैं। यदि निर्यात ऑर्डर लौटते हैं और घरेलू मांग सुधरती है, तो पिलखुवा की कपड़ा मंडियां फिर से रफ्तार पकड़ सकती हैं।