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मुंबई/ गारमेण्ट के सभी खंडों में अच्छी लेवाली रहने से खुदरा कारोबार बढ़ गया है। स्थानीय ग्राहकी बहुत अच्छी होने के कारण बाजार का माहौल खुशनुमा हो गया है। कारोबार अच्छा होने की उम्मीद बढ़ जाने से रिटेलरों की गारमेण्ट की फैंसी आइटमों की बिक्री पर अधिक जोर है। नई वैराइटी की मांग और वैवाहिक सीजन की जोरदार मांग से गारमेण्ट में कारोबार अब पूरी तरह से पटरी पर लौट आया है। गारमेण्ट इकाइयों के पास निर्यात ऑर्डर मजबूत होने से गारमेण्ट कपड़ों की भी मांग बढ़ी है। गारमेण्ट उत्पादन में वृ(ि हो रही है। गारमेण्ट का उत्पादन उन इकाइयों में बढ़ा है, जहां निर्यात कारोबार अधिक है। पुरूष एवं महिलाओं के साथ बच्चों की फैंसी वेराइटी में कारोबार अच्छा हो रहा है।
टेक्सटाइल एवं क्लोदिंग की वैश्विक सप्लाई चैन में भारत का हिस्सा बढ़ने की संभावना को यूके के साथ मुक्त व्यापार करार के बाद अब दिसम्बर अंत तक यूरोपियन यूनियन के साथ इसी तरह का करार और अमेरिका के साथ भी जल्द ही मुक्त व्यापार करार किए जाने की संभावना से भारत के निर्यातकों के लिए वैश्विक क्षितिज पर कारोबार का विस्तार करने के लिए दरवाजा खुलता नजर रहा है। इधर कुछ समय से वैश्विक स्तर पर परिदृष्य तेजी से बदला है। बांग्लादेश में फैली अशांति और अमेरिका का चीन पर भारी टैक्स लगा देने के बाद बडे़ वैश्विक ब्राण्डों की नजर भारत की ओर मुड़ गई है। इसका सटीक आकलन है भारत से क्लोदिंग का बढ़ रहा है निर्यात कारोबार।
उद्योग सूत्रों के अनुसार 2024 में यूके को भारत ने टी शर्ट, जॉगिंग शर्ट्स और लैंगिग्स इत्यादि का 65.5 करोड डॉलर का निटेड वस्त्रों का निर्यात किया था। इसके अलावा शर्ट, ट्राउजर्स और डेªस का निर्यात किया गया था। नये टैरिफ के बाद भारत बांग्लादेश के समकक्ष होगा जो अभी तक अल्प विकसित देश के बतौर शुल्क मुक्त का लाभ उठा रहा था। चीन के मुकाबले में भी भारत को लाभ होने की संभावना है। वियतनाम, कम्बोडिया, श्रीलंका अथवा बांग्लादेश के विपरीत अपने पास कच्चे माल की आंतरिक मजबूती है, हमें रूई अथवा यार्न के लिए आयात पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। यह भारत के लिए एक बडा एसेट है, इसका फायदा निर्यात बढ़ाने में होगा।