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मुंबई/ गारमेण्ट में खुदरा ग्राहकी जो गतिशील हो चुकी थी, श्रा( पक्ष के कारण अब थोड़ी धीमी पड़ गई है। परंतु दशहरा एवं दीपावली जैसे त्योहारों के लिए गारमेण्ट की खुदरा बिक्री में जबरदस्त उछाल आने के अनुमान से रिटेलर्स त्योहारों की ग्राहकी के लिए फैंसी वैराइटी का स्टॉक करने में जुट गए है। कॉर्पोरेट एवं उपहार आइटमों की बिक्री बढ़ रही है। इसमें वार्षिक विकास दर 10 से 12 प्रतिशत की दर्ज की गई है। दिवाली के समय जब लोगों के हाथ में बोनस के रूप में अतिरिक्त धन होगा और अब 2500 रूपये के गारमेण्ट पर जीएसटी की दर पांच प्रतिशत कर दी गई है, जो 22 सितम्बर से लागू हो जाएगी, तो अनुमान है कि इस कदम से गारमेण्ट के कारोबार में तेजी आएगी।
बाजार सूत्रों का कहना है कि जीएसटी की दरों में सुधार करने से आम जनता और उद्योग सभी को फायदा होगा। सिंथेटिक और कॉटन गारमेण्ट दोनों करीब सात प्रतिषत तक सस्तें होंगे, बशर्तें गारमेण्ट मैन्यूफेक्चरर्स और व्यापारी इसका लाभ आम जनता को दें। जीएसटी सरलीकरण के ऐतिहासिक कदमों से निर्यात झटकों को स्थानीय बाजारों में बिक्री बढ़ाकर कुछ सीमा तक कम करने में मदद मिलेगी। 2500 रूपये कीमत के गारमेण्ट पर जीएसटी पांच प्रतिशत और इससे अधिक कीमत के गारमेण्ट पर 18 प्रतिशत की गई है। अनुमान है कि गारमेण्ट सस्ता होने पर त्योहारी सीजन में इसकी ब्रिकी में जबरदस्त उछाल आएगा। निर्यातक इकाइयों को कुछ और इंतजार करना होगा।
स्मरण रहे कि टेक्सटाइल एवं क्लोदिंग के वैश्विक निर्यात में 4.1 प्रतिशत बाजार हिस्से के साथ भारत छठे नंबर पर है। अमेरिका के 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने से भारत से अमेरिका को निर्यात किया जाता मेडअप्स और गारमेण्ट कारोबार पर असर पड़ा है। भारत के निर्यातक फिलहाल रूको एवं प्रतीक्षा करो की नीति के साथ वैकल्पिक बाजारों की तलाश में जुट गए है। अब कॉटन और मैनमेड टेक्सटाइल पर जीएसटी की दर एक समान होने से इसका सबसे अधिक फायदा मैनमेड टेक्सटाइल को होगा। सिलाई मशीन पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत की गई। 2500 रूपये से कम कीमत की क्लोदिंग एसेसरीज इत्यादि पर जीएसटी पांच प्रतिशत कर दी गई है।
केयर रेटिंग एजेंसी की रिपोर्ट कहती है कि देश से गारमेण्ट का निर्यात कारोबार घटेगा और टैरिफ से भारत की रेडीमेड गारमेण्ट उद्योग की आय ग्रोथ इस वित्त वर्ष में लगभग आधी हो सकती है। 50 प्रतिशत टैरिफ और मोस्ट फेवर्ड नेशंस टैरिफ को जोड़ने पर भारत से निर्यात के लिए चुनौती बढ़ी है। टेक्सटाइल के मामले में यह 59 प्रतिशत और एपेरल पर 60.3 प्रतिशत इम्पोर्ट ड्यूटी होती है। भारत के निर्यात पर बुरा असर पड़ सकता है। चीन, वियतनाम, कंबोडिया जैसे देशों के मुकाबले भारतीय आइटमें अमेरिका में 30 से 35 प्रतिशत तक महंगी हो जाएगी। तिरूपुर और नोएडा में उत्पादन कटौती शुरू कर दी गई है। भारत के टेक्सटाइल वैल्यू चैन की आय कम होगी।