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खुदरा मांग कम, जीएसटी स्लैब बदलाव के बाद ही गारमेण्ट में सुधार 
By Textile Mirror - 03-09-2025

मुंबई/ स्थानीय मांग कम, बाजार की धारणा के अनुसार गारमेण्ट  में खुदरा ग्राहकी नहीं, टैरिफ के कारण निर्यात कारोबार ठप जैसा हो गया है, जीएसटी की स्लैब दरों में बदलाव जैसे कई कारणों से बाजार नरम है। गारमेण्ट  पर असर होना ही है। सरकार जीएसटी की 12 प्रतिशत की स्लैब को समाप्त कर उसकी जगह 5 प्रतिशत की स्लैब लाने जा रही है। कपडा एवं गारमेण्ट  पर अभी पांच प्रतिशत ही जीएसटी ली जाती है। लेकिन 1000 रूपये से अधिक एमआरपी वाले गारमेण्ट  पर 12 प्रतिशत जीएसटी है, यह घटकर पांच प्रतिशत होती है, तब आगे से फैशन एवं कीमत में महंगे गारमेण्ट  का उत्पादन और विपणन दोनों अधिक होने की संभावना है। ग्राहकों को नये फैशनेबल गारमेण्ट ही पसंद है। 
जीएसटी कौंसिल की बैठक सितम्बर के पहले सप्ताह में होने जा रही है। स्लैब में बदलाव तय माना जा रहा है, कारण कि इस पर सभी की सहमति है। इसलिए गारमेण्टर इंजतार कर रहे है, परंतु दीपावली की प्लानिंग को मूर्तरूप देना शुरू कर दिश है, इसलिए बाजार में गारमेण्ट  कपड़ों की मांग बढ़ी है, उतना जोर नहीं है। जीएसटी की स्लैब दरों बदलाव के बाद क्या स्थिति बनती है, उसके बाद ही गारमेण्ट के उत्पादन पर जोर होगा। निर्यात कारोबार धीमा है। आयातकों की ओर से पूर्व के आर्डरों का डिस्पैच नहीं करने का अनुरोध है। रिटेलरों की नई वेराइटी में खरीदी कम हो गई है, जिसकी अधिक जरूरत है सिर्फ ऐसी ही वेराइटी खरीदना जा रहा है। गारमेण्ट सस्ता हो सकता है। 
अमेरिका के भारी टैरिफ लगाने के बाद टेक्सटाइल उद्योग त्रस्त एवं उलझन में है। निर्यातकों ने अब अमेरिका को किए जा रहे शिपमेंट को रोक दिया है अथवा नुकसान उठाकर ऑर्डर को पूरा कर रहे है। अमेरिकन रिटेल जॉयन्टों ने अपने सप्लायरों को बता दिया है कि जब तक टैरिफ को लेकर पूरी तरह से स्पष्टता नहीं होती है, तब तक कंसाइनमेंट को रोक दिया जाए। भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक निर्यात 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का था। लेकिन अमेरिका ने बांग्लादेश, वियतनाम पर 20 प्रतिशत तथा कम्बोडिया एवं इंडोनेशिया पर 19 प्रतिशत टैरिफ लगगाया है। भारत पर 25 प्रतिषत शुल्क लागू है और 25 प्रतिशत लग सकता है, इससे अमेरिकन बाजार में कठिनाई बढे़गी। 
 

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