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भारत के भारी उद्योग मंत्री को दिया प्रस्ताव
चैम्बर के नवनिर्वाचित उपाध्यक्ष श्री अशोक जीरावाला एवं पूर्व अध्यक्ष श्री आशीष गुजराती ने फिक्की, एसोचैम, जीसीसीआई एवं अन्य उद्योग संगठनों के साथ मिलकर उपयोगकर्ता उद्योग के साथ क्यूसीओ पर चर्चा की तथा इस पर पुनर्विचार करने का प्रस्ताव रखा, तथा इस संबंध में मंत्री एवं संयुक्त सचिव से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई।
सूरत/ साउथर्न गुजरात चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के नवनिर्वाचित उपाध्यक्ष श्री अशोक जीरावाला एवं पूर्व अध्यक्ष श्री आशीष गुजराती तथा अन्य औद्योगिक संगठनों ने गत रोज दिल्ली में भारत के भारी उद्योग मंत्री श्री एच.डी. कुमारस्वामी और संयुक्त सचिव श्री विजय मित्तल ने कपड़ा मशीनरी से क्यूसीओ हटाने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया था।
चैंबर ऑफ कॉमर्स के अलावा फिक्की, एसोचैम, गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और अरविंद मिल्स के प्रतिनिधियों ने कपड़ा मशीनरी से क्यूसीओ हटाने के लिए मांग की।
एसजीसीसीआई के प्रतिनिधियों ने निवेदन किया कि कपड़ा बाजार का वर्तमान आकार 165 बिलियन डॉलर है, जिसे 2030 तक 350 बिलियन डॉलर तक पहुंचने के लिए 4 लाख 50 हजार हाई-स्पीड वीविंग मशीनों की आवश्यकता होगी। इसके लिए इस मशीनरी में 15 बिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता है, इसलिए चैंबर ऑफ कॉमर्स ने भारत में निर्मित नहीं होने वाली कपड़ा मशीनरी की एक सूची तैयार की है, जिसे भारत के हेवी इंडस्ट्रीज मंत्री श्री एच.डी. कुमारस्वामी और संयुक्त सचिव श्री विजय मित्तल को सौंपा गया। चैंबर ने मंत्री को बताया कि उपयोगकर्ता उद्योग से परामर्श करके कपड़ा मशीनरी पर क्यूसीओ पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
चैंबर के नव-उपाध्यक्ष इलेक्ट श्री अशोक जीरावाला ने बताया कि कढ़ाई उद्योग में एक इकाई में चार से पांच एम्ब्रॉयडरी मशीनें होती हैं। हर दो या तीन साल में एम्बॉयडरी में नई तकनीक आ जाती है, जिससे पुरानी मशीनरी हटाकर नई लगानी पड़ती है, लेकिन यह मशीनरी भी भारत में नहीं बनती, उसके लिए भी आयात पर निर्भर रहना पड़ता है, इसलिए एम्ब्रॉयडरी मशीनरी से भी क्यूसीओ हटाने का प्रस्ताव रखा गया।
जीसीसीआई के प्रतिनिधियों ने बताया कि उद्यमियों ने हाल ही में लेटर ऑफ क्रेडिट खोले हैं तथा वीविंग व एम्ब्रॉयडरी मशीनें बुक कराई हैं। इस मशीन की डिलीवरी यदि 28 अगस्त 2025 के बाद आती है तो उद्यमियों का पैसा रुक जाएगा और मशीन की डिलीवरी पोर्ट पर क्लियर नहीं हो पाएगी। एक ओर उद्यमियों का पैसा फंस जाता है। दूसरी ओर, बैंक नए वीविंग प्रोजेक्टों को फायनांस नहीं करता है। क्योंकि आधुनिक वीविंग मशीनरी भी आयात करनी पड़ती है। इसलिए, उपयोगकर्ता उद्योग के साथ कपड़ा मशीनरी पर क्यूसीओ पर फिर से चर्चा करने का प्रस्ताव किया गया।
भारत के भारी उद्योग मंत्री और संयुक्त सचिव के समक्ष प्रस्तुतीकरण को उनकी ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। उन्होंने कहा कि भारतीय वस्त्र मंत्रालय द्वारा उपयोगकर्ता उद्योग का पक्ष सुना जाएगा और उसके बाद इस मामले में आगे निर्णय लिया जाएगा।