It is recommended that you update your browser to the latest browser to view this page.
Please update to continue or install another browser.
Update Google ChromeYarn Rates
भारत के निर्माण क्षेत्र को नई दिशा
भारत का निर्माण क्षेत्र एक बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जहां नवाचार और स्थायित्व को केंद्र में रखते हुए फैक्ट्रियों का आधुनिकरण किया जा रहा है। इस बदलाव की अगुवाई कर रही हैं वे नई पीढ़ी की निर्माण इकाइयां, जिन्हें अब ‘भविष्य की स्मार्ट फैक्ट्रियां’ कहा जा रहा है। ये फैक्ट्रियां परंपरागत उत्पादन से आगे बढ़ते हुए हरित तकनीक, स्वचालन और पर्यावरणीय जिम्मेदारी का समावेश कर रही हैं।
भविष्य की इन फैक्ट्रियों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे न केवल अधिक उत्पादन करने में सक्षम हैं, बल्कि वे पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाने का संकल्प भी ले रही हैं। कृत्रिम बु(िमत्ता आधारित ऑटोमेशन, ऊर्जा दक्ष मशीनरी, रीसाइक्लेबल मटीरियल सिस्टम, डिजिटल ट्विन टेक्नोलॉजी और स्मार्ट सेंसर जैसी उन्नत तकनीकों को अपना कर ये फैक्ट्रियां उद्योग जगत में एक नई परिभाषा रच रही हैं।
इन फैक्ट्रियों का उद्देश्य केवल आर्थिक लाभ नहीं है, बल्कि वे टिकाऊ औद्योगिक मॉडल स्थापित कर भारत को ग्रीन मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में अग्रणी बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं। टेक्सटाइल उद्योग में कपड़ा पुनर्चक्रण की नई प्रणालियां, नेट-जीरो एमिशन लक्ष्य, और रिन्युएबल एनर्जी पर आधारित यूनिट्स अब तेजी से बढ़ रही हैं।
गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश जैसे औद्योगिक राज्यों में इन फैक्ट्रियों का विकास तेज़ी से हो रहा है। कई एमएसएमई अब ग्रीन फैक्ट्री प्रमाणन प्राप्त करने की दिशा में सक्रिय हैं और स्थानीय स्तर पर ऊर्जा बचत एवं अपशिष्ट प्रबंधन की आधुनिक तकनीकों को अपनाने लगे हैं।
सरकार भी इस बदलाव में सक्रिय भूमिका निभा रही है। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना और नेशनल ग्रीन मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी जैसे कार्यक्रमों के तहत पर्यावरण-अनुकूल मशीनरी पर सब्सिडी, ग्रीन बिल्डिंग टैक्स छूट, और आरएंडडी सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। इससे निजी क्षेत्र को भी हरित तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहन मिल रहा है।
इन प्रयासों का दीर्घकालिक उद्देश्य यह है कि वर्ष 2035 तक भारत की 50 प्रतिशत से अधिक निर्माण इकाइयों को सस्टेनेबल और स्मार्ट फैक्ट्रियों में बदल दिया जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग नेतृत्व में अग्रणी बना सकता है।
भारतीय टेक्सटाइल इंजीनियरिंग फोरम के सदस्य श्री संदीप जैन ने इस दिशा में कहा कि अब समय आ गया है जब हमें ऐसी फैक्ट्रियों की जरूरत है जो न केवल उत्पादन करें, बल्कि प्रकृति के साथ तालमेल भी रखें। यह सोच आने वाले समय में भारत के औद्योगिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल सकती है।
भविष्य की स्मार्ट फैक्ट्रियां केवल तकनीक का प्रतीक नहीं, बल्कि यह स्थायी विकास की अवधारणा को व्यवहार में लाने का माध्यम भी बन रही हैं। भारत का यह परिवर्तनशील कदम न केवल देश की अर्थव्यवस्था को सशक्त करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक नई पहचान स्थापित करेगा।