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पिलखुवा/ घरेलू बाजारों में कामकाज नहीं होने से कपड़ा उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है। तैयार कपड़ांे की बिक्री कम होने से कपड़ा उत्पादक बिक्री को लेकर के काफी परेशानी महसूस कर रहे हैं। विश्व बाजारांे मंे ट्रेड टेक्स को लेकर के अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। बाजारांे मंे कामकाज के अभाव मंे धन की तंगी भी बढ़ने लगी है।
कपड़ा उत्पादक श्री मंगतराम सिंघल का कहना है का कहना है कि बाजारांे मंे मार्च मास मे कामकाज कम थे लेकिन अप्रैल मास में बाजारांे मंे कामकाजांे के उठने की सम्भावना दिखायी पड़ रही थी। अप्रेल मास मंे कामकाजांे की चाल नहीं बनने से बाजारांे मंे मंदी का सामना करना पड़ रहा है। कारखाना उत्पादक कामकाजों के नहीं चलने से काफी परेशानी का सामना कर रहे हैं। कमजोर बिक्री के चलते ही कपड़े का उत्पादन घटाने को मजबूर होना पड़ रहा है।
थोक गर्म व ठण्डे की अनेक क्वालिटी का तैयार कपड़े का काम करने वाले मूलचंद अग्रवाल का कहना है कि इतना तो मंदा पहले कभी नहीं देखा था आज तो बाजारांे मंे कामकाज नहीं होने से फर्म के खर्चे भी निकालना मुश्किल भरा हो रहा है। इन दिनांे हम जिन दिसावर के कारोबारियों को माल नहीं देते थे। आज हमें उन्हंे भी मालांे की सप्लाई स्टॉक की निकासी करने के लिये दे रहे हैं।
बाजारांे में जिस गति से काम कम हो रहे हैं यदि यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में अनेक कपड़ा उत्पादकों को अपनी फर्म को बंद करने के लिये विवश होना पड़ सकता है। कपड़ा उत्पादक हो या सेल क्यांे न हो सभी को मंदी का सामना करना पड़ रहा है।
सीजन के समय बाजारों में बाहर की मंडियांे से ऑर्डर नहीं आने के कारण ही सप्लायरांे को मंदी का सामना करना पड़ रहा है। बाजारांे में कामकाजांे मंे सुधार की आशा पर कारोबारी काम कर रहे हैं। कामकाज कम होने से बाजारांे में धन का प्रवाह भी कारोबारों को कहीं ना कहीं बाजारांे मंे धन की तंगी को प्रदर्शित कर रहा है।