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वैवाहिक सीजन की लेवाली निकलने से कारोबार बढ़ने की आशा : नये फैंसी कपड़ों की मांग बढ़ने लगी 
By Textile Mirror - 20-11-2024


मुंबई/ दीपावली बाद लाभपंचम को खुले कपड़ा बाजार में मुहूर्त सौदा नीरस रहा है। ऐसा लग रहा है कि बाजार की यह पुरानी परंपरा खत्म होने के कगार पर है। कपड़ा बाजार में कामकाज में कोई जोर नहीं दिखाई दिया है। गारमेण्ट इकाइयों में कारोबार शुरू नहीं हुआ था, लेकिन बहुत ही जल्दी कामकाज हमेशा की तरह होने लगेगा। कारण कि 15 नवम्बर के बाद वैवाहिक सीजन शुरू हो रही है, इस सीजन में कपड़ों में मांग हमेशा से रहा करती है। कारोबारियों का अनुमान है कि इस सीजन में शादी विवाह के मुहूर्त अधिक होने से रिटेलर्स से लेकर दिसावरों के व्यापारियों की कपड़ों की मांग बढ़ने का अनुमान है। फिनिश कपड़ों का स्टॉक अधिक नहीं होने से फैंसी वैराइटी में मांग बढे़गी। 
देष से कपड़ा एवं गारमेण्ट का निर्यात बढ़ाने के लिए हरसंभव की जा रही कोशिश से विशेषकर गारमेण्ट का निर्यात तो सुधरा है। माना जा रहा है कि बांग्लादेश में मचे उथल-पुथल के कारण विदेशों से गारमेण्ट का ऑर्डर बढ़ा है। 20 जनवरी से अमेरिका में डोनॉल्ड ट्रम्प की सरकार काम करना शुरू करेगी, अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्षिक व्यापार करीब 190 अरब डॉलर का है। अमेरिका चीन के प्रति कठोर रूख अपना सकता है। इससे भारत के लिए नये अवसर खुल सकते हैं। लेकिन भारतीय सामानों पर भी शुल्क बोझ बढे़गा, लेकिन यह चीन की तुलना में कम होगा। भारत से निर्यात कामकाज बढ़ सकता है तथा भारत के उत्पादों की निर्यात मांग बढे़गी। 
महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव 20 नवम्बर को है और 23 नवम्बर को परिणामों की घोषणा होगी, इसलिए तब तक आचार संहिता लागू होने से बाजारों में नकदी का हेरफेर संभव नहीं है। परंतु सीजन शुरू होने के साथ आचार संहिता भी खत्म हो जाएगी, ऐसे में बाजारों में नकदी कारोबार करने में कोई अड़चन नहीं होगी। यद्यपि कपड़ा बाजारों में कारोबार अधिकतर उधारी में ही अधिक होता है, नकदी में बहुत कम होता है। फैंसी कपडों में दिसावरी ग्राहकी अच्छी हैं। दिसावरों के व्यापारी वैवाहिक सीजन को ध्यान में रखते हुए कपड़ा खरीद रहे हैं। अब कपड़ा उत्पादकों एवं वीवर्स सीधे बडे़ रिटेलर्स तथा गारमेण्टरों को कपड़ा बेचने लगे हैं, इसलिए थोक व्यापारियों की कड़ी टूटती जा रही है। 
मुंबई के बाजारों में कपड़ों में कारोबार घटता जा रहा है, जबकि अन्य सेंटरों पर कपड़ों में कारोबार बढ़ रहा है। अभी कपड़ों की निर्यात मांग कम होने से स्थानीय स्तर पर भाव पर दबाव बना हुआ है। जबकि कॉटन सहित सिंथेटिक यार्न टाइट हो रहा है, लेकिन ग्रे कॉटन एवं सिंथेटिक कपड़ों की मांग में तेजी नहीं है। बाजार के जानकारों का कहना है कि उत्पादन क्षमता अधिक है, लेकिन पूरी क्षमता के साथ अभी कपड़ों का उत्पादन नहीं हो रहा है। क्योंकि स्थानीय मांग और निर्यात मांग में बहुत जोर नहीं है। कपड़ों का निर्यात बडे़ पैमाने पर होना शुरू हो जाए तो कपड़ा उद्योग की दशा एवं दिशा दोनों बदल सकती है। बांग्लादेश के उथल-पुथल का कुछ लाभ निर्यात में अब दिखाई दे रहा है। 
न सिर्फ थोक बाजारों में कारोबार कम होता जा रहा है, बल्कि मुंबई में मिलों के बंद होने के बाद बड़ी तेजी के साथ वीविंग इकाइयों और प्रोसेस हाउसों के कार्यरत होने से कपड़ों के उत्पादन एवं बिक्री पर कोई आंच नहीं आई थी। वीविंग इकाइयों में कपड़ों का उत्पादन आधी क्षमता पर हो रहा है, तो प्रोसेस इकाइयों में कामकाज करीब 75 प्रतिशत की क्षमता पर हो रहा है। अच्छे प्रोसेस हाउस डिजिटल प्रिंट और वैल्यू एडिशन की ओर मुड़ गए हैं, इसलिए ब्लीचिंग एवं डाइंग कार्य करने वाले प्रोसेस हाउस कम हो गए हैं। डोम्बीवली एमआईडीसी में एक समय ऐसे प्रोसेस हाउसों की संख्या सैकड़ों में थी, जो अब घट गई है। नया प्रोसेस हाउस शुरू करने अथवा विस्तार करने की यहां छूट नहीं है। 
व्यापारियों का कहना है कि वैवाहिक सीजन की मांग निकलने से साड़ियों के साथ डेªस मटेरियल में कारोबार पहले की तुलना में सुधरा है। बाजारों में नये फैंसी उत्पादों की मांग अच्छी रहने का अनुमान है। सूटिंग एवं शर्टिंग में क्रिसमस तथा सीजनल मांग को देखते हुए रिटेलरों की खरीदी मिल कपड़ों अच्छी वैराइटी के प्रोसेस कपड़ों में है। डिजिटल प्रिंट के साथ फैंसी कपड़ों में अधिक कारोबार होने की उम्मीद की जा रही है। ब्लाउज मटेरियल की पूछताछ बढ़नी शुरू हो गई है। ब्लाउज में फैंसी का चलन घटा है, इसके बदले में डिजिटल प्रिंट एवं मूल्यवर्धित वैराइटी में कामकाज अच्छा हो रहा है। मिल वैराइटी में एकमात्र अरविंद मिल की टू बाई टू रूबिया चकोरी बाजार में आती है। 
 

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