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सांसद एवं फेडरेशन अध्यक्ष श्री अग्रवाल से मिला प्रतिनिधिमण्डल, मिला सकारात्मक आश्वासन
@ Govind Sharma
भीलवाड़ा/स्थानीय कपड़ा मण्डी मंे प्रोसेस हाउस संचालकों द्वारा 1 अक्टूबर से कपड़े पर 2 प्रतिशत अतिरिक्त हैडलिंग चार्ज लगाने की घोषणा के खिलाफ शहर के कपड़ा निर्माताओं ने खुलकर मोर्चा खोल दिया। ऐसा पहली बार हो रहा है जब भीलवाड़ा के प्रोसेस हाउस एवं वस्त्र निर्माता किसी मुद्दे पर आमने-सामने हो रहे हैं। निर्माताओं का कहना है कि मंदी के माहौल में इस प्रकार अतिरिक्त भार, बिना किसी पूर्व नोटिस के थोपा जाना सरासर गलत है।
भीलवाड़ा फेडरेशन अध्यक्ष एवं सांसद से मिला प्रतिनिधिमण्डल
ताजा खबर लिखे जाने तक कपड़ा निर्माताओं की 15 सदस्यीय कमेटी ने भीलवाड़ा टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के अध्यक्ष एवं सासद श्री दामोदर अग्रवाल, संरक्षक श्री श्याम चाण्डक, सचिव श्री प्रेम गर्ग, श्री रामेश्वर काबरा व पारस बोहरा के साथ विस्तार से चर्चा की। श्री अग्रवाल ने प्रोसेस हाउसों द्वारा इस प्रकार चार्ज लगाने को गलत बताया एवं फेडरेशन द्वारा इस समस्या का शीघ्र सकारात्मक समाधान करवाने की बात कही।
फैसला वापस लेने की मांग-
व्यापारियों द्वारा आयोजित बैठक में करीब 120 प्रमुख व्यापारियांे ने भाग लिया और सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि 30 सितम्बर से किसी भी प्रोसेस हाउस में कपड़ा प्रोसेस हेतु नहीं भेजा जाएगा। यह विरोध तब तक जारी रहेगा, जब तक सभी प्रोसेस हाउस यह फैसला वापस नहीं ले लेते। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए 15 सदस्यीय समिति गठित की गई है।
भारी आर्थिक बोझ-
उद्योग से जुड़े जानकारों के अनुसार भीलवाड़ा में हर माह करीब 7 करोड़ मीटर कपड़े की प्रोसेसिंग होती है, जिसकी अनुमानित लागत करोड़ों रुपये है। यदि 2 प्रतिशत अतिरिक्त चार्ज लागू हुआ तो कारोबारियों को अतिरिक्त आर्थिक बोझ उठाना पड़ेगा और कपड़ा महंगा होने से इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा।
पुराने कपड़ों पर भी चार्ज-
व्यापारियों में नाराजगी और तब बढ़ गई जब प्रोसेस हाउस संचालकों ने यह चार्ज पहले से पड़ी हुई पुरानी स्टॉक पर भी लागू कर दिया। व्यापारियों का कहना है कि यह पूरी तरह अनुचित और गलत फैसला है, क्योंकि कपड़े पहले ही तय दरों पर भेजे गए थे।
शुल्क बढ़ाया जा सकता है लेकिन लेवी नहीं-
व्यापारियों का साफ कहना है कि प्रोसेस हाउस अपनी रेट बढ़ा सकते हैं, लेकिन लेवी के नाम पर अलग से चार्ज वसूलना सरासर गलत है। उनका आरोप है कि यह कदम मनमानी और एकतरफा फैसला है, जिससे पहले से दबाव में चल रहा कपड़ा कारोबार और संकट में आ जाएगा।
प्रतिनिधिमण्डल-
बैठक में सुरेश जाजू, शिव सोडानी, संतोष आगाल, गोपाल झंवर, सुशील चौरड़िया, नन्दकिशोर झंवर, कैलाश बिरला, दीपक बंसल, योगेश बियानी, पुनीत कोठारी, रामपाल असावा, सौरभ बेसवाल, अविनाश सोमानी, महेश हुरकट, शिरीष जैन एवं सी.के. संगतानी सहित 120 प्रमुख कपड़ा निर्माता मौजूद रहे।
उद्यमियों का मानना है कि एक तरफ सरकार जीएसटी की दर कम करके कपड़े को सस्ता करने का प्रयास कर रही है वहीं दूसरी ओर स्थानीय प्रोसेसर्स सिण्डीकेट बनाकर निजि टेक्स लगाकर वस्त्र उद्यमियों के साथ कुठाराघात करने का प्रयास कर रहे हैं।
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