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जनवरी मध्य से कपड़ों में कारोबार बढ़ने की आशा
By Textile Mirror - 17-01-2025

 समर, स्कूल यूनिफॉर्म तथा वैवाहिक सीजन की ग्राहकी निकलने पर बदलेगा बाजार का रूख 
मुंबई/ कपड़ा बाजार में हलचल नहीं है। कामकाज नहीं होने से बाजार का रूख नीरस है। न तो वैवाहिक सीजन की कोई मांग है, न ही निर्यात कामकाज हो रहा है। क्रिशमस वेकेशन समाप्त हो गया है, इसलिए अब निर्यात में कामकाज होने लगेगा। इधर खरमास के कारण कपड़ों में सीजनल मांग नहीं है, परंतु मकर संक्रान्ति के बाद स्थानीय स्तर पर कपड़ों में फिर से कारोबार शुरू हो जाएगा। दिसवारी मंडियों की मांग जो पड़ रही भयंकर ठंडी के कारण गरम कपड़ों तक सीमित है, इन मंडियों में फैंसी कपड़ों में कारोबार बढ़ने की संभावना है। क्योंकि वैवाहिक सीजन का यह दूसरा दौर पहले की तुलना में लंबी अवधि का है। इसमें बाजारों में हर तरह के कपड़ों मंे ग्राहकी का जोर रहेगा। 
जनवरी के दूसरे पखवाडे से वैवाहिक सीजन की मांग निकलने सहित बाजारों में गरमी के कपड़ों और स्कूल यूनिफॉर्म की सीजन शुरू होने से कपड़ा कारोबारियों को लगता है कि मकर संक्रान्ति के बाद कपड़ों में चौतरफा मांग निकलने की उम्मीद से बाजार का रूख बदलेगा। ऐसा माना जाता है कि नवम्बर से मकर संक्रान्ति तक कपड़ों में कारोबार कमजोर रहता है। कपड़ा उत्पादकों और गारमेण्ट उत्पादकों का ध्यान आगामी सीजन की तैयारियों एवं गारमेण्ट सेम्पलिंग पर अधिक होता है। इस बार सिंथेटिक कपड़ांे में गारमेण्ट सेम्पलिंग अच्छी रही है। ऐसी रिपोर्ट है कि समर सीजन में नेचुरल फाइबर कपड़ों और विस्कोस बेस नये विकसित कपड़ों में गारमेण्ट इकाइयों की मांग अधिक रहेगी। 
समर सीजन की तैयारी देर से शुरू हुई है, फिर भी सीजन को लेकर कारोबारियांे एवं उत्पादकों में उत्साह है। ग्रे कपड़ों में उठाव अच्छा नहीं होने से भाव नहीं बढ़ रहे हैं, जबकि कॉटन यार्न मजबूत हो गया है। पीवी और पीसी यार्न सुधर रहा है। ग्रे कपड़ों में लेवाली कमजोर होने के कारण भिवंडी और ईरोड में ग्रे कपड़ों का उत्पादन नहीं बढ़ा है। कपड़ों की बिक्री स्कूल यूनिफॉर्म की सीजन में बढ़ने की आशा है। अनुमान है कि जनवरी मध्य से स्कूल यूनिफॉर्म कपड़ों में ग्राहकी शुरू हो सकती है। पिछले एक वर्ष से विद्यार्थियों के गणवेश को लेकर तरह-तरह की अवधारणाएं रही है। तथापि स्कूल यूनिफॉर्म को एक बड़ा बाजार विकसित हो चुका है जिसमें वैराइटी की हमेशा भरमार रही है। 
कपड़ों में एक अच्छी ग्राहकी की संभावना बन रही है। समर सीजन, वैवाहिक सीजन की ग्राहकी और इसके साथ स्कूल यूनिफॉर्म में कामकाज जनवरी मध्य से होने लगेगा। जिन राज्यों में अभी भयंकर ठंड पड़ रही है और फैंसी मालों में उठाव नहीं हो रहा है, ऐसे राज्यों में भी शादियों की ग्राहकी होने से कपड़ों में कारोबार होगा। गारमेण्ट को लेकर नेशनल गारमेण्ट फेयर भी जनवरी में है। सीएमएआई का 80वां नेशनल गारमेण्ट फेयर 15 से 17 जनवरी 2025 को मुंबई में आयोजित किया जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार की ओर से भी टेक्सटाइल क्षेत्र के विकास को गति देने के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। इस तरह से देखा जाए तो ऐसा लगता है कि जनवरी मध्य से कपड़ों में कारोबार सुधरेगा। 
इसमें कोई दो राय नहीं है कि कपड़ों का उत्पादन कछुए की चाल से हो रहा है। करीब-करीब सभी सेंटरों में एक जैसी स्थिति बनी हुई है। उत्पादन कही भी 50 प्रतिशत से अधिक क्षमता पर नहीं हो रहा है, अपवाद के रूप में एकाध सेंटर है, जहां थोड़ा बढ़ा है। प्रमुख कपड़ा बाजारों में व्यापारियों का आना जाना भले कम हो गया है, लेकिन कारोबार करने के नये जमाने में ऑनलाइन पैटर्न पर अधिक जोर देने से बाजारों में व्यापारी कम आ रहे हैं, परंतु कपड़ों में कारोबार हो रहा है। नई वैराइटी में काम सबसे अधिक हो रहा है। माना जा रहा है कि जिन का ध्यान बाजार की नब्ज टटोलकर कपड़ों का उत्पादन एवं बिक्री करने की है, ऐसे सभी उत्पादकों के पास कपड़ों में कारोबार है। 
टेक्सटाइल निर्यात को लेकर अच्छी संभावनाएं है। वैश्विक मंदी की भी स्थिति में भारत से टेक्सटाइल क्षेत्र का निर्यात प्रोत्साहक रहा है। एक आंकडे़ के अनुसार टेक्सटाइल का कुल निर्यात चार वर्षों के दौरान 37 प्रतिशत तक बढ़ा है। अप्रैल से नवम्बर 2020 के दौरान टेक्सटाइल का निर्यात 17.05 अरब डॉलर था, जो अप्रेल से नवम्बर 2024 में बढ़कर 23.30 अरब डॉलर हो गया है। इसमें विविध देशों में बढ़े निर्यात को शामिल किया गया है, जिसमें यूरोप, यूके, अमेरिका, लैटिन अमेरिकन देशों का समावेश है। अफ्रीकन रिजन में भी निर्यात में सुधार हुआ है। स्मरण रहे कि कोविड के दौरान विदेशी बाजारों में छाई मंदी का असर निर्यात कारोबार पड़ा था, उसके बाद अनेक संकटों का दौर गुजरा है। 
कपड़ों के निर्यात में और सुधार की उम्मीद की जा रही है। एक तो डॉलर के सामने भारत का रूपया कमजोर हो गया है। इस समय एक डालर के सामने भारत के रूपए का मूल्य 85.50 रूपये के आस-पास पहुंच गया है। जब रूपया कमजोर पड़ता है, तब निर्यातकों की कमाई बढ़ती है। विदेशी आयातकों का विशेष गारमेण्ट का ऑर्डर लगातार बढ़ रहा है। गारमेण्ट इकाइयों में निर्यात ऑर्डर भरपूर होने से निर्यातकों की इस समय बल्ले-बल्ले है। एक ओर उनके पास भरपूर ऑर्डर है, ऊपर से डॉलर मजबूत होने से उनकी कमाई का प्रतिशत भी सुधर रहा है। लेकिन चिंता क्रूड ऑयल का भाव बढ़कर 75 डॉलर के करीब हो गया है, इस कारण सिंथेटिक कपड़ों के भाव बढ़ने की संभावना बनती नजर आ रही है। 
 

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