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ओम कसारा ‘ओमेंद्र’
अमेरिका के लॉस एंजेलिस में सांता मोनिका व मालिबू के बीच स्थित 20 हजार एकड़ भूभाग, पेसाडेना में 13,690 एकड़, हर्स्ट में 770 एकड़ भूमि, लीडिया में 394 एकड़ और केनेथ में 960 एकड़ क्षेत्र में भयंकर आग लगी है एवं लपटें ऐसे उठ रही है मानो किसी ने सैंकड़ों बम एक साथ गिरा दिए हों। इसके दुष्परिणामस्वरूप सरकारी आंकड़ों के अनुसार 16 लोगों की मौत हो चुकी है, कई लोग लापता हैं तथा 150 अरब डॉलर से भी ज्यादा की संपत्ति जलकर राख हो गई है।
दुर्भाग्य की बात यह है कि दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक और सैन्य महाशक्ति समझे जाने वाला अमेरिका कई दिन बीत जाने के बावजूद यह लेख लिखे जाने तक अपने देश में लगी आग पर काबू नहीं पा सका है। आग बुझाने के तमाम संसाधन नकारा साबित हो रहे हैं जिसके चलते फायर फाइटर लाख कोशिशें करने के बावजूद बेबस व लाचार हैं। कुदरत का करिश्मा देखिए कि आग बुझाने में सहायक पानी की भारी कमी है जबकि आग भड़काने वाली हवा प्रचंड वेग से उसी दिशा में बह रही है जिधर अरबों-खरबों के मालिक हॉलीवुड स्टार और ऐसे अमीरजादों के रिहायशी इलाके हैं जो आदमी को आदमी नहीं बल्कि कीड़े-मकोड़े समझते हैं।
दुनियाभर में मानवाधिकारों की रक्षा का दिखावा करने वाला यह वही चौधरी अमेरिका है जिसने बिना वजह इराक सहित कई देशों में भीषण बमबारी करके लाखों निर्दाेष लोगों की जान ले ली व कइयों को बेघर कर दिया। हिरोशिमा और नागासाकी पर एटम बम गिराकर जापानियों को ऐसा दर्द दिया कि पीढ़ियां बीत जाने के बावजूद आज भी कई बच्चे लूले-लंगड़े पैदा हो रहे हैं।
वो पापी अमेरिकी ही हैं जो अपनी हथियार निर्माण करने वाली फैक्ट्रियों को जिंदा रखने के लिए पड़ोसी देशों को यु( की आग में झोंककर युवाओं, बूढ़ों, बच्चों और अबलाओं की जान लेते रहते हैं।
इतना कुछ होने के बावजूद कटु सच्चाई यही है कि दुनिया का कोई भी देश इतना शक्तिशाली नहीं है जो अमेरिका के साथ सीधा यु( लड़कर मासूमों पर होने वाले अत्याचारों को रोक सके। ऐसे में स्वयं भगवान को मैदान में उतरना पड़ा है जो प्रकृति के माध्यम से कभी समुद्री तूफानों के द्वारा तो कभी भारी बर्फबारी करके और अब आग का तांडव मचाकर अमेरिकियों को पापों की सजा देते हुए सावचेत कर रहे हैं कि अभी भी मौका है संभल जाओ वरना ऐसे मिट जाओगे कि तुम्हारी दास्तां भी नहीं होगी दास्तानों में...!