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ट्रम्प टैरिफ का भारत पर प्रभाव
By Textile Mirror - 15-04-2025

ट्रम्प टैरिफ का भारत पर प्रभाव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नई टैरिफ नीति ने वैश्विक व्यापार को हिलाकर रख दिया है। भारत से आयात पर 26-27 प्रतिशत टैरिफ, जो पहले 3-4 प्रतिशत था, ने भारत की अर्थव्यवस्था, निर्यात और निवेशक विश्वास पर सवाल उठाए हैं। यहां इस नीति के प्रभावों, चुनौतियों और अवसरों का विश्लेषण करंेगे जो भारत की रणनीति पर विचार करता है।
ट्रम्प के टैरिफ का सबसे बड़ा असर भारत के निर्यात क्षेत्र पर होगा। अमेरिका भारत का प्रमुख व्यापारिक साझेदार है, जहां ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, रत्न-आभूषण और आईटी जैसे क्षेत्र अहम हैं। उच्च टैरिफ से भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जिससे मांग 10-15 प्रतिशत तक कम हो सकती है। यह वैश्विक मंदी के दबाव में पहले से जूझ रही अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक है।
शेयर बाजार में भी अस्थिरता देखी गई। टैरिफ की घोषणा के बाद सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट निवेशकों की अनिश्चितता दर्शाती है। लंबे समय तक ऐसी स्थिति रही तो पूंजी निवेश और औद्योगिक विकास प्रभावित हो सकता है। छोटे और मध्यम उद्यम  भी प्रभावित होंगे, क्योंकि बढ़ती लागत उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम करेगी, जिससे रोजगार के अवसर घट सकते हैं।
चुनौतियों के बावजूद यह नीति भारत के लिए अवसर लाती है। आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया को मजबूत करने का यह सही मौका है। टैरिफ से अमेरिकी बाजार में मांग कम होने पर भारत घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा दे सकता है। उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना को और प्रभावी बनाकर आपूर्ति श्रृंखला को सशक्त किया जा सकता है।
फार्मास्यूटिकल क्षेत्र को कुछ छूट मिली है, जो सकारात्मक है। भारत की सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाओं की मांग बनी रहेगी, जिससे इस क्षेत्र में स्थिति मजबूत हो सकती है। भारत को यूरोपीय संघ, दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका जैसे बाजारों में निर्यात बढ़ाने पर भी ध्यान देना चाहिए ताकि अमेरिका पर निर्भरता कम हो।
भारत को संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा। पहला, व्यापार समझौतों पर जोर देना चाहिए। भारत-अमेरिका मुक्त व्यापार समझौता टैरिफ के असर को कम कर सकता है। हाल की खबरों में दोनों देशों के बीच बातचीत के संकेत हैं। भारत को अमेरिकी उत्पादों, जैसे हाई-एंड बाइक, पर आयात शुल्क में रियायतें देकर मोलभाव की स्थिति मजबूत करनी चाहिए।
दूसरा, नवाचार और विविधीकरण जरूरी है। हरित ऊर्जा और डिजिटल प्रौद्योगिकी में निवेश से भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी भूमिका बढ़ा सकता है। तीसरा, विश्व व्यापार संगठन जैसे मंचों पर भारत को अन्य देशों के साथ मिलकर ट्रम्प की नीतियों का विरोध करना चाहिए। यह भारत के हितों की रक्षा के साथ वैश्विक व्यापार में निष्पक्षता को बढ़ावा देगा।
ट्रम्प के टैरिफ ने भारत के सामने चुनौतियां और अवसर दोनों रखे हैं। यह समय भारत को अपनी आर्थिक नीतियों को मजबूत करने और वैश्विक व्यापार में स्थिति सुदृढ़ करने का है। घरेलू विनिर्माण, नए बाजारों की तलाश और व्यापार समझौतों से भारत इस संकट को अवसर में बदल सकता है। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘आपदा में अवसर’ की तलाश भारत की ताकत है। अब इस मंत्र को अपनाकर भारत वैश्विक व्यापार के नए युग में अपनी जगह बना सकता है।

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