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मुंबई/ कपड़ा निर्यातकों के संगठन एईपीसी ने सरकार से कर प्रोत्साहन की घोषणा करने का आग्रह किया। जिसमें कपड़ा मशीनरी के आयात पर कटौती और सीमा शुल्क में छूट का दावा करने के लिए 45 दिनों के भीतर एमएसएमई को भुगतान करने के प्रावधान को हटाना शामिल है।
एईपीसी ने यह भी अनुरोध किया है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट में 5 परसेंट की इंटरेस्ट इक्वेलाइजेशन दर की घोषणा की जाये साथ ही नई परिधान इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए नई मैन्यूफेक्चरिंग यूनिट्स के लिए आईजीसीआर ;रियायती दर पर वस्तुओं का आयातद्ध के तहत टिम्स और एम्बेलिशमेंट्स के आयात की प्रक्रिया को सरल करने और ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट प्रक्रियाओं को उदार बनाने की भी मांग की है। रेडीमेड गारमेंट्स ;आरएमजीद्ध उद्योग ने आगामी बजट में आईटी अधिनियम की धारा 43 बी ;एचद्ध को हटाने की भी मांग की है। जो किसी भी एमएसएमई कंपनी को कर में किसी भी कटौती का दावा करने के लिए अधिकतम 45 दिनों के भीतर भुगतान करने से संबंधित है। इसने कर देनदारियों में बढ़ोतरी होती है और एक्सपोर्ट के लिए नकदी ब्लॉक होती है। ई-कॉमर्स के तहत निर्यात मूल्य की प्रति खेप की सीमा को बढ़ाकर न्यूनतम 25 लाख रूपये किया जाना चाहिए और निर्यात प्राप्ति की अवधि को 12 महीने तक बढ़ाया जाना चाहिए। उच्च आयात शुल्क भारतीय कपड़ों के अनिर्यात को बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों की तुलना में कम प्रतिस्पर्धी बनाता है।