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ट्रम्प टेरिफ के उद्योग पर नकारात्मक एवं सकारात्मक प्रभाव
ट्रम्प प्रशासन द्वारा भारत से आयात पर लगाए गए 26-27ः टैरिफ, जो पहले 3-4 प्रतिशत थे, का भारतीय वस्त्र उद्योग पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है। यह उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख हिस्सा है, जो लाखों लोगों को रोजगार देता है और निर्यात में अहम योगदान देता है। अमेरिका भारतीय वस्त्रों का सबसे बड़ा बाजार है, जहां तैयार वस्त्र, कपड़े और होम टेक्सटाइल्स की मांग अधिक है। नीचे इस टैरिफ के नकारात्मक और सकारात्मक प्रभावों का विश्लेषण किया गया है।
नकारात्मक प्रभाव-
1. निर्यात में कमी- उच्च टैरिफ के कारण भारतीय वस्त्र उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे, जिससे उनकी मांग कम हो सकती है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि वस्त्र निर्यात में 10-15 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है। यह उन कंपनियों के लिए बड़ा झटका होगा जो अमेरिकी रिटेल चेन जैसे वॉलमार्ट और टारगेट पर निर्भर हैं।
2. लागत और प्रतिस्पर्धात्मकता पर असर-
टैरिफ से निर्यातकों की लागत बढ़ेगी, जिससे भारतीय वस्त्रों की कीमत बांग्लादेश, वियतनाम और श्रीलंका जैसे प्रतिस्पर्धी देशों के मुकाबले अधिक हो जाएगी। इन देशों को अमेरिका के साथ बेहतर व्यापार समझौते का लाभ मिल सकता है, जिससे भारत की बाजार हिस्सेदारी घट सकती है।
3. रोजगार पर प्रभाव- वस्त्र उद्योग में छोटे और मध्यम उद्यम और असंगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी अधिक है। निर्यात में कमी से उत्पादन प्रभावित होगा, जिसके परिणामस्वरूप नौकरियों में कटौती और मजदूरों की आय पर असर पड़ सकता है। खासकर महिलाएं, जो इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में कार्यरत हैं, प्रभावित होंगी।
4. आर्थिक अनिश्चितता- टैरिफ की घोषणा के बाद निवेशकों का विश्वास डगमगा सकता है, जिससे वस्त्र क्षेत्र में पूंजी निवेश कम हो सकता है। शेयर बाजार में कपड़ा कंपनियों के शेयरों में गिरावट पहले ही देखी जा चुकी है।
सकारात्मक प्रभाव
1. घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा- टैरिफ से अमेरिकी बाजार में मांग कम होने पर भारत घरेलू वस्त्र उद्योग को मजबूत कर सकता है। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी पहलों को बढ़ावा देकर सरकार स्थानीय मांग और उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दे सकती है। टेक्निकल टेक्सटाइल्स और सस्टेनेबल फैशन जैसे क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहन मिल सकता है।
2. नए बाजारों की तलाश- टैरिफ भारत को वैकल्पिक बाजारों, जैसे यूरोपीय संघ, जापान, दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य पूर्व, में निर्यात बढ़ाने का अवसर देता है। इन क्षेत्रों में भारतीय वस्त्रों की मांग बढ़ रही है, और भारत अपनी आपूर्ति श्रृंखला को विविधीकृृृृत कर सकता है। हाल ही में भारत-यूएई व्यापार समझौते जैसे कदम इस दिशा में सकारात्मक हैं।
3. सस्टेनेबल और प्रीमियम उत्पादों पर जोर- टैरिफ से प्रेरित होकर भारतीय वस्त्र उद्योग उच्च-मूल्य और पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों, जैसे ऑर्गेनिक कॉटन और रिसाइकल्ड फैब्रिक्स, पर ध्यान दे सकता है। अमेरिकी उपभोक्ताओं में सस्टेनेबल फैशन की मांग बढ़ रही है, और भारत इस क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठा सकता है।
4. नीतिगत सुधारों का अवसर- टैरिफ का दबाव सरकार को वस्त्र उद्योग के लिए प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए प्रेरित कर सकता है। उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना और टेक्सटाइल पार्क जैसी योजनाओं को और प्रभावी बनाया जा सकता है। तकनीकी उन्नयन और डिजिटल मार्केटिंग में निवेश से उद्योग की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ सकती है।
निष्कर्ष- ट्रम्प के टैरिफ का भारतीय वस्त्र उद्योग पर प्रभाव मिश्रित है। जहां यह निर्यात, रोजगार और प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए चुनौतियां लाता है, वहीं यह घरेलू विनिर्माण, नए बाजारों और सस्टेनेबल उत्पादों के लिए अवसर भी देता है। भारत को इस स्थिति का सामना करने के लिए रणनीतिक कदम उठाने होंगे, जैसे वैकल्पिक बाजारों की तलाश, नीतिगत सुधार और नवाचार पर जोर देना। यदि उद्योग और सरकार मिलकर काम करें, तो यह संकट भारतीय वस्त्र उद्योग को अधिक लचीला और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने का अवसर बन सकता है।