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भीलवाड़ा में सीमलेस गारमेण्ट उत्पादन में तेजी कृ 
By Textile Mirror - 03-12-2025

वैश्विक बाजारों में बढ़ती मांग से उद्योग में नई उम्मीद
भीलवाड़ा/ देश की सूटिंग-यार्न नगरी भीलवाड़ा अब सीमलेस गारमेण्ट निर्माण में भी अपनी पहचान बना रही है। परंपरागत सूटिंग और शर्टिंग के लिए प्रसि( इस शहर में पिछले एक वर्ष में सीमलेस उत्पादन इकाइयों की संख्या में उल्लेखनीय वृ(ि दर्ज की गई है। जहां पहले केवल कुछ स्पोर्ट्स वियर व नाईट वियर यूनिट सीमित स्तर पर उत्पादन कर रही थीं, वहीं अब स्थानीय गारमेंट निर्माता सीमलेस टेक्नोलॉजी को अपनाकर उच्च मूल्य वाले निटवियर और एक्टिववियर सेगमेंट में प्रवेश कर रहे हैं।
सीमलेस गारमेण्ट उत्पादन में मशीनरी और तकनीक दोनों का आधुनिकीकरण प्रमुख कारण माना जा रहा है। सैंटोनी और लोनाटी जैसी इटालियन मशीनों की मांग बढ़ी है, जिन्हें कुछ भीलवाड़ा आधारित इकाइयों ने हाल ही में इंस्टॉल किया है। उद्योग जगत के अनुसार, एक सीमलेस मशीन पर रोज़ाना 80 से 120 पीस तक उत्पादन संभव है, जिससे कम समय में उच्च गुणवत्ता वाला आउटपुट मिलता है।
सीमलेस गारमेण्ट की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें सिलाई की आवश्यकता नहीं होती पूरा परिधान ‘ट्यूब फार्म’ में मशीन से तैयार होता है। इससे न केवल उत्पादन समय घटता है बल्कि परिधान की फिटिंग और आरामदायकता भी बढ़ जाती है। सीमलेस गारमेंट विशेष रूप से स्पोर्ट्स वियर, एक्टिव वियर, योगा ड्रेसेस, जिम वियर, इनरवियर और थर्मल वियर सेगमेंट में बेहद लोकप्रिय हो चुके हैं।
वैश्विक स्तर पर बाजार की स्थिति
वर्तमान में सीमलेस गारमेण्ट का वैश्विक बाजार लगभग 8.5 अरब अमेरिकी डॉलर का है, और विशेषज्ञों के अनुसार 2030 तक यह बाजार 13 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। भारत में भी इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है, विशेषकर मुंबई, बेंगलुरु, दिल्ली, जयपुर, सूरत, लुधियाना और तिरुपुर जैसे फैशन-गारमेण्ट हब्स में। इनमें से तिरूपुर और लुधियाना इस तकनीक के शुरुआती केंद्र रहे हैं, लेकिन अब भीलवाड़ा, सूरत और नोएडा जैसे उभरते शहर सीमलेस उत्पादन में निवेश आकर्षित कर रहे हैं।
भीलवाड़ा में सीमलेस गारमेण्ट निर्माण को बढ़ावा देने के लिए संगम ग्रुप एवं कुछ अन्य इकाइयां मशीनरी और कौशल प्रशिक्षण पर निवेश कर रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम उद्योग को परंपरागत सूटिंग से हाई-वैल्यू गारमेण्ट मैन्युफैक्चरिंग की ओर मोड़ सकता है।
भविष्य की संभावना
उद्योग विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले 2-3 वर्षों में भीलवाड़ा में सीमलेस गारमेण्ट निर्माण का वार्षिक टर्नओवर 500-700 करोड़ रुपये तक पहुँच सकता है। निर्यात संभावनाओं के मद्देनज़र, यदि भारत-अमेरिका या भारत-यूरोप व्यापार समझौते में सीमलेस परिधान को टैरिफ छूट का लाभ मिला, तो यह क्षेत्र 15दृ20 प्रतिशत तक निर्यात वृ(ि दर्ज कर सकता है।
भीलवाड़ा का यह नया ट्रेंड स्पष्ट संकेत देता है कि पारंपरिक सूटिंग के साथ अब यह शहर टेक्सटाइल इनोवेशन के अगले दौर में प्रवेश कर चुका है जहां ‘सीमलेस फैशन’ उद्योग की नई पहचान बन सकता है।

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