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भारत के टेक्सटाइल उद्योग की धड़कन बनता जा रहा है ‘टेक्सटाइल सिटी’
By Textile Mirror - 08-11-2025

भीलवाड़ा/ राजस्थान का औद्योगिक शहर भीलवाड़ा आज देश ही नहीं, बल्कि वैश्विक वस्त्र उद्योग में अपनी पहचान को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है। टेक्सटाइल सिटी के नाम से प्रसि( यह शहर न केवल परंपरा और तकनीक का संगम प्रस्तुत कर रहा है, बल्कि अब स्थायी उत्पादन, डिजिटलाइजेशन और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम- रूफ टॉप सोलर से 60 लाख यूनिट का उत्पादन
भीलवाड़ा की करीब 300 औद्योगिक इकाइयों ने पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा आत्मनिर्भरता को ध्यान में रखते हुए रूफ टॉप सोलर प्लांट्स स्थापित किए हैं। इनसे प्रतिदिन लगभग 60 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है, जिससे न केवल बिजली की लागत में भारी कमी आई है बल्कि कार्बन क्रेडिट का लाभ भी उद्योगों को प्राप्त हो रहा है। यह पहल भीलवाड़ा को हरित ऊर्जा के क्षेत्र में एक मॉडल सिटी बना रही है।
18 स्पिनिंग मिलें दे रही हैं 4 लाख टन यार्न का उत्पादन
भीलवाड़ा की 18 स्पिनिंग मिलें हर साल करीब 4 लाख टन यार्न का उत्पादन कर रही हैं। इन इकाइयों में 16.5 लाख स्पिंडल्स लगे हुए हैं, जो शहर की औद्योगिक शक्ति और वैश्विक प्रतिस्पर्धा का प्रतीक हैं।
यहां निर्मित यार्न में 60 प्रतिशत कॉटन और 30 प्रतिशत पोलिएस्टर-विस्कोस (च्ट) यार्न का हिस्सा है, जिसमें से 45 प्रतिशत निर्यात होता है। निर्यात के प्रमुख बाजारों में बांग्लादेश, यूरोप और खाड़ी देश शामिल हैं।
करीब 12 हजार करोड़ रुपये के वार्षिक कारोबार के साथ, भीलवाड़ा का यार्न उद्योग न केवल विदेशी मुद्रा अर्जन में योगदान दे रहा है बल्कि हजारों लोगों के रोजगार का माध्यम भी बन चुका है।
डिजिटलाइजेशन के साथ टेक्सटाइल उद्योग का आधुनिकीकरण
भीलवाड़ा का टेक्सटाइल उद्योग अब पारंपरिक उत्पादन से आगे बढ़कर डिजिटलाइजेशन और रिसाइक्लिंग को अपना रहा है। यार्न निर्माण से लेकर बुनाई और तैयार कपड़े तक की हर प्रक्रिया में डिजिटल तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इससे उत्पादन अधिक पर्यावरण-अनुकूल, दक्ष और उच्च गुणवत्ता वाला बन गया है।
अब उद्योग जगत में रीसाइक्लिंग टेक्नोलॉजी, एआई-आधारित क्वालिटी कंट्रोल सिस्टम और ऑटोमेटेड मशीनरी के प्रयोग से दक्षता में बढ़ोतरी हो रही है।
सिंथेटिक, सूती के बाद अब डेनिम उद्योग का विस्तार
भीलवाड़ा ने अब डेनिम फैब्रिक उत्पादन में भी अपनी मजबूत पहचान बनाई है। यहां की कई इकाइयां हर महीने लगभग 3.5 करोड़ मीटर फैब्रिक का उत्पादन कर रही हैं, जिसका वार्षिक कारोबार करीब 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक का है।
1956 में पहली आधुनिक मिल की स्थापना से लेकर आज तक भीलवाड़ा का वस्त्र उद्योग आयातित मशीनों और नई तकनीकों से लैस हो चुका है। अब यहां उच्च गुणवत्ता वाले सिंथेटिक, सूती, ऊनी और डेनिम फैब्रिक का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे शहर की वैश्विक पहचान और भी सशक्त हुई है।
पर्यावरण और नवाचार के संगम से उभरता औद्योगिक मॉडल
भीलवाड़ा का वस्त्र उद्योग आज सतत विकास और ग्रीन एनर्जी के सि(ांतों पर आगे बढ़ रहा है। रूफ टॉप सोलर, वाटर रीसाइक्लिंग और कार्बन न्यूट्रलिटी की दिशा में उठाए जा रहे कदम इसे एक सस्टेनेबल टेक्सटाइल हब बना रहे हैं।
औद्योगिक इकाइयों के साथ-साथ शैक्षणिक संस्थान कृजैसे एम.एल.वी. टेक्सटाइल एंड इंजीनियरिंग कॉलेज भी नई तकनीक और अनुसंधान पर केंद्रित हैं, जिससे भीलवाड़ा देश के टेक्सटाइल इनोवेशन का केंद्र बनता जा रहा है।
पारंपरिक कौशल, तकनीकी प्रगति, नवीकरणीय ऊर्जा और वैश्विक प्रतिस्पर्धा इन चार स्तंभों पर खड़ा भीलवाड़ा आज भारतीय वस्त्र उद्योग की रीढ़ बन चुका है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आने वाले वर्षों में भीलवाड़ा भारत का ‘सस्टेनेबल टेक्सटाइल कैपिटल’ बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है।

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