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भीलवाड़ा/ राजस्थान का भीलवाड़ा, जिसे अब तक ‘टेक्सटाइल सिटी ऑफ़ इंडिया’ के नाम से जाना जाता है, देश का सबसे बड़ा सूटिंग और सिंथेटिक फैब्रिक उत्पादन केंद्र है। लेकिन अब यह शहर एक नई औद्योगिक दिशा की ओर कदम बढ़ा रहा है कृ रेडीमेड गारमेंट निर्माण का केंद्र बनने की ओर।
वस्त्र उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि अगले 5 से 7 वर्षों में भीलवाड़ा भारत का प्रमुख रेडीमेड गारमेंट हब बन सकता है, यदि नीति, निवेश और इन्फ्रास्ट्रक्चर स्तर पर सही कदम उठाए जाएँ।
भीलवाड़ा की मौजूदा ताकत- एकीकृत वस्त्र ढांचा
- भीलवाड़ा की सबसे बड़ी ताकत उसका पूर्ण एकीकृत वस्त्र ढांचा है। यहाँ धागे से लेकर फैब्रिक, प्रोसेसिंग, डाइंग और फिनिशिंग तक की सभी सुविधाएँ पहले से मौजूद हैं।
- शहर में लगभग 850 से अधिक टेक्सटाइल यूनिट्स, दर्जनों प्रोसेस हाउस और हजारों पावरलूम मशीनें कार्यरत हैं।
- इस मजबूत आधार पर यदि कटिंग, स्टिचिंग, एम्ब्रॉयडरी और पैकेजिंग जैसी गारमेंट इकाइयाँ जोड़ी जाएँ, तो भीलवाड़ा एक पूर्ण गारमेंटिंग सेंटर बन सकता है।
क्या है ज़रूरत? ‘फैब्रिक से फैशन’ की ओर
भीलवाड़ा में अब तक फोकस मुख्यतः ग्रे और फिनिश्ड फैब्रिक निर्माण पर रहा है, लेकिन वैश्विक मांग अब ‘फैब्रिक टू फैशन’ की ओर बढ़ रही है। इसके लिए ज़रूरी है किकृशहर में गारमेंट पार्क या आरएमजी क्लस्टर की स्थापना हो।
-कौशल प्रशिक्षण केंद्र शुरू हों, जो युवाओं को गारमेंटिंग, डिज़ाइनिंग और मशीन ऑपरेशन में प्रशिक्षित करें।
-एमएसएमई नीति के तहत वित्तीय सहायता और टैक्स इंसेंटिव्स दिए जाएँ।
-लॉजिस्टिक कनेक्टिविटी ;रेल, हवाई अड्डा, एक्सप्रेसवेद्ध को और मजबूत किया जाए।
राज्य सरकार की भूमिका और अवसर
राजस्थान सरकार पहले ही ‘राजस्थान टेक्सटाइल एंड अपैरल पॉलिसी 2025’ के तहत रेडीमेड गारमेंट सेक्टर को प्राथमिकता दे चुकी है।
- इस नीति में नए निवेशकों को भूमि, बिजली और ब्याज पर सब्सिडी देने की घोषणा की गई है।
- यदि भीलवाड़ा इस नीति का सक्रिय लाभ उठाता है, तो यहाँ 100 से अधिक नई गारमेंट यूनिट्स अगले 3दृ4 वर्षों में स्थापित की जा सकती हैं।
वैश्विक परिस्थिति भी अनुकूल
- वर्तमान में भारत से परिधान निर्यात का बड़ा हिस्सा बांग्लादेश, वियतनाम और चीन को चुनौती दे रहा है।
- भीलवाड़ा जैसे क्लस्टर, जहाँ उत्पादन लागत अपेक्षाकृत कम है और कच्चा माल स्थानीय रूप से उपलब्ध है, वहाँ फास्ट-फैशन ब्रांड्स को आकर्षित करने की पूरी संभावना है।
समयसीमा और संभावनाएँ
यदि स्थानीय उद्योग और फेडरेशन मिलकर योजनाब( रूप से आगे बढ़ते हैंकृ
- पहले 2 वर्षों में 100 नई गारमेंट इकाइयाँ,
- अगले 5 वर्षों में एक अपेरल पार्क,
- 7 वर्षों में 10,000 करोड़ तक का रेडीमेड उत्पादन संभव है।
-यह न केवल हजारों युवाओं को रोजगार देगा, बल्कि भीलवाड़ा को ‘फैब्रिक हब से फैशन हब’ में बदल सकता है।
निष्कर्ष
भीलवाड़ा के पास वह सब कुछ है जो एक रेडीमेड गारमेंट हब बनने के लिए चाहिए, कच्चा माल, कुशल श्रम, औद्योगिक परंपरा और उद्यमशीलता की भावना।
अब केवल ज़रूरत है एक स्पष्ट रोडमैप, नीति-सहयोग और उद्योग की एकजुटता की। अगर यह दिशा बनी रही, तो आने वाले दशक में भीलवाड़ा भारत का ‘नेक्स्ट तिरुपुर’ बन सकता है जहाँ सूटिंग-शर्टिंग के साथ ‘मेड-इन-भीलवाड़ा’ रेडीमेड परिधान भी वैश्विक मंच पर चमकेंगे।
