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क्रिएटिविटी और  विश्वसनीयता पर निर्भर हुई एपेरल ब्राण्डों की बिक्री
By Textile Mirror - 20-11-2024

क्रिएटिविटी और  विश्वसनीयता पर निर्भर हुई एपेरल ब्राण्डों की बिक्री
मुंबई/ गारमेण्ट की रिटेल बिक्री दीपावली से पूर्व पुरजोर रहने के बाद अब वैवाहिक सीजन की मांग शुरू हो गई है, ऐसे में गारमेण्ट की सभी वैराइटी में अच्छी मांग दिखाई दी है। सीजन में कारोबार अच्छा होने की अवधारणा से रिटेलर्स की नई वैराइटी में भरपूर मांग निकली है। गारमेण्ट इकाइयों के पास पहले से ही स्थानीय व्यापारियों के सीजनल मालों के साथ विदेशी ब्रांडों के क्रिसमस इत्यादि के लिए ऑर्डर होने से गारमेण्ट कपड़ों की भी मांग सुधरी है। गारमेण्ट इकाइयों में कामकाज सामान्य होेने में कुछ दिन और लग सकते हैं। लेकिन इन इकाइयों के पास जिस तरह का ऑर्डर प्रवाह है और सामने तैयार कपड़ों के लिए जबरदस्त ग्राहकी दिखाई दे रही है, तो उत्पादन बढ़ना तय माना जा रहा है।
रेडीमेड गारमेण्ट में दिसावरी मंडियों के ऑर्डर बडे़ पैमाने पर मिलने से गारमेण्ट कपड़ों का उठाव बढ़ना शुरू हो गया है। पुरूष, महिलाओं और बालक एवं बालिकाओं के मीडियम रेंज फैंसी परिधानों में दीपावली पूर्व कारोबार अच्छा रहा है। इसी तरह शर्ट, टीशर्ट, ट्राउजर, एथेनिक वियर और इंडोवेस्टर्न स्टाइल परिधानों, कुर्ता तथा पायजामा इत्यादि की बिक्री अधिक रही। मीडियम रेंज में सोबर कलर शर्ट और ट्राउजर की रेंज 500 से लेकर 1000 रूपये और कुर्ता एवं पायजामा की रेंज 500 रूपये तक है, वहीं इंडोवेस्टर्न की रेंज 1500 से 3000 रूपये तक रही है। वैवाहिक सीजन में मांग बढ़ने की आशा से संगठित क्षेत्र के रिटेल एपेरल की आवक वर्ष 2024-25 में आठ से दस प्रतिशत तक बढ़ने की धारणा है। 
एपेरल ब्रांडों की बिक्री का आधार अब सर्जनात्मकता और ब्राण्ड की विश्वसनीयता पर निर्भर करने लगी है। स्थापित ब्रांडों को बिक्री का फायदा उनके नाम के साथ व्यापक वितरण नेटवर्क का मिलता है। इनके पास बजट भी अधिक होता है, जिससे अपने नये उत्पादों का अधिक से अधिक प्रचार करने में सक्षम होते है। फेब इंडिया और रेमंड जैसे बडे़े ब्राण्डों की एक अलग पहचान है। इनका उन सभी क्षेत्रों में प्रभुत्व है, जिसमें ये कार्य करते हैं। एपेरल ब्राण्ड अब टिकाऊ कपड़ा, एथिकल मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस पर अधिक ध्यान देते हैं। गारमेण्ट में डिजिटल कैटलॉग का भी चलन आ गया है। कैजुअल, टेªंडी एपेरल की बिक्री के साथ कॉर्पोरेट जगत के लिए अब गारमेण्ट में कारोबार बडे़ स्तर पर होने लगा है। 
गारमेण्ट का निर्यात सुधरा रहा है। गारमेण्ट इकाइयों में निर्यात ऑर्डर बढ़ा है। दूसरी ओर कॉटन यार्न और सिंथेटिक यार्न मजबूत होने से कपड़ों की लागत बढ़ने का अंदेशा है। अमेरिका में ट्रम्प के चुनाव जीतने से देश से निर्यात कामकाज बढ़ने की आषा है, क्योंकि ट्रम्प की पिछली सरकार में चीनी उत्पादों पर आयात शुल्क की तगड़ी मार पड़ी थी, इस बार भी उत्पाद शुल्क बढ़ सकता है, जिसका फायदा भारत के निर्यात को होने की संभावना है। यह आयात शुल्क भारत के उत्पादों पर भी बढे़गा। फैशन की दुनिया में यूरोप आगे है, वहां से यह दुबई आता है, फिर भारत में। सीएमएआई के तत्वावधान में ब्राण्ड्स ऑफ इंडिया फेयर का आयोजन 12 से 14 नवम्बर को दुबई में किया गया है। 
 

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