
It is recommended that you update your browser to the latest browser to view this page.
Please update to continue or install another browser.
Update Google ChromeYarn Rates
टेक्सटाइल-गारमेण्ट के निर्यात में भारी गिरावट
मुंबई/ थोक कपड़ा बाजार में नियमित कामकाज शुरू हो गया है, लेकिन ग्राहकी अभी पूरी तरह से जमीं नहीं है। गारमेण्ट इकाइयों में कामकाज कम है। गारमेण्टरों की मांग चुनिंदा वैराइटी में है। उत्पादन केंद्रों पर श्रमिकों की कमी है। बाजार में उधारी लौटनी शुरू हो जाने से कपड़ों में कारोबार बढ़ने का अनुमान है। हल्के कपड़ों की मांग बाजार में कम होती जा रही है, तो अच्छी वैराइटी के कपड़ों की ओर ग्राहकांे का रूख दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसलिए इनोवेशन और ग्राहकों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए विकसित फैंसी कपड़ों की मांग इस वैवाहिक सीजन में अधिक रहने का अनुमान है। टेक्सटाइल उद्योग के निर्यात में भी सुधार के बदले गिरावट आई है।
व्यापारियों का कहना है कि वैवाहिक सीजन की मांग का सपोर्ट मिलने से थोक कपड़ा बाजारों में हचचलें बढ़नी चाहिए, लेकिन ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। वैवाहिक सीजन की ग्राहकी जमने में कुछ समय लग सकता है। बेमौसमी बारिश खेल बिगाड़ रहा है। उम्मीद है कि दूसरे पखवाडे़ से कपड़ों में कारोबार धारणा के अनुसार होने लगेगा। दीपावली वेकेशन के बाद खुले कपड़ा बाजार में कारोबार नहीं है। किंतु वैवाहिक सीजन में कपड़ों में कारोबार हमेशा से अच्छा होने के कारण दिसावरों के व्यापारियों एवं रिटेलरों की फैसी कपड़ों में नई मांग निकल सकती है। अब तक कपड़ों में स्थानीय एवं निर्यात मांग कमजोर रही है, परंतु अब कपड़ा बाजार का समीकरण बदल गया है।
कपड़ा बाजार में मौजूदा सुस्ती अधिक दिनों की नहीं है। पावरलूम इकाइयों एवं गारमेण्ट कारखानों में करीब-करीब हर जगह श्रमिकों की कमी की खबरें है। बिहार में 11 नवम्बर को अंतिम मतदान होने के बाद बिहारी श्रमिकों के लौटने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। यही कारण है कि कारखानों में कामकाज पूरी तरह से नहीं हो रहा है। कपड़ों का उत्पादन कम हो गया है। गारमेण्ट में ग्राहकी नहीं खुलने का भी असर कपड़ा बाजार पर दिखाई दे रहा है। कॉटन यार्न नरम पड़ा है। सूती कपड़ों में उठाव नहीं होने से हलचल नहीं है। परंतु कॉटन पीसी की कुछ वैराइटी में भाव आंशिक रूप से उपर चढ़ने लगे है। ग्राहकी जोर पकड़ने पर ही कपड़ा एवं गारमेण्ट के उत्पादन में तेजी संभव है।
वैवाहिक सीजन की मांग के साथ त्योहारों की ग्राहकी थोक एवं खुदरा बाजारों में रहने से कपड़ों में कारोबार बढ़ने की संभावना अधिक है। थोक में हैवी कपड़ों की मांग पूरी हो चुकी है। आगे वैवाहिक सीजन के फैंसी कपडों सहित समर के लिए लीनन बेस्ड शर्टिंग की मांग रहेगी। यार्न डाईड चेक्स शर्टिंग 58’’ पना का बाजार में भाव 150 से लेकर 225 रूपये तक है। यार्न डाईड चेक्स में कारोबार हो रहा है, जबकि शर्टिंग की प्लेन वैराइटी की खपत पहले की तुलना में अब कम हो गई है। परंतु विशेष सिंगल कलर वैराइटी में हल्का कारोबार है। हमेशा फैंसी और स्टाइलिश शर्टिंग में नई वेराइटी विकसित करने पर उत्पादकों का ध्यान होने के कारण शर्टिंग में कारोबार अच्छा होता है।
वैवाहिक सीजन की मांग के साथ त्योहारों की ग्राहकी रहने से कपडा बाजार में कारोबार बढ़ेगा। अब तक कमजोर स्थानीय मांग और अमेरिकी भारी भरकम टैरिफ के कारण एमएसएमई उद्योग की बिक्री को सबसे अधिक झटका लगा है। देशभर के टेक्सटाइल उद्योग को इस वैवाहिक सीजन में अच्छे कारोबार की उम्मीद जागी है। इसके साथ ही लोगों की खरीदी में भी बडे़ बदलाव दिखाई दे रहा है। सरकार की ओर से उठाए गए अनेक कदमों के कारण लोगों के हाथों में खर्च करने के लिए अब अधिक पूंजी बच रही है। इस बीच जीएसटी की दरें घटने से अच्छी वैराइटी के कपड़े उचित कीमतों पर मिलना सुनिश्चित होने से व्यापारियों को लग रहा है कि कपड़ों में कारोबार बढे़गा।
ग्लोबल टेªड रिसर्च इनशिएटिव के आंकड़ों के अनुसार मई और सितम्बर 2025 के दौरान टेक्सटाइल, गारमेण्ट और मेडअप्स का निर्यात 37 प्रतिशत घटा है। निर्यात 94.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर से घटकर 59.7 करोड यूउस डॉलर हो गया है। इस अवधि में गारमेण्ट का निर्यात 44 प्रतिशत, होम टेक्सटाइल का निर्यात 16 प्रतिशत और यार्न-कपड़ों का निर्यात 41 प्रतिशत घटा है। गारमेण्ट के अंदर निटेड एपेरल का निर्यात 37 प्रतिशत और वूवन एपेरल का निर्यात 50 प्रतिशत तक घटा है। गर्ल्स सूट्स के निर्यात में 66 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। भारत पर प्रतिस्पर्धी देशों बांग्लादेश एवं वियतनाम की तुलना में अधिक टैरिफ लगाने से अमेरिका में भारत का निर्यात घटा है।
विश्व की भूराजनीतिक स्थिति अभी अनिश्चित है। अमेरिकी टैरिफ के कारण भारत के निर्यात को नुकसान हुआ है।निर्यातकों के बहुत से ऑर्डर कैंसल हो गए है। अमेरिका एवं भारत के बीच बातचीत जारी है और टैरिफ कम होने की उम्मीद है। फिरभी देश में टेक्सटाइल की एक ठोस एवं समृ( विरासत होने के साथ भरपूर कच्चे माल की सुविधा और कुशल कारीगर वह भी अपेक्षित सस्ती दरों पर मिलने से भारत दुनिया में टेक्सटाइल के क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ने के लिए आगे बढ़ गया है। अमेरिकी टैरिफ के कारण भारत के टेक्सटाइल क्षेत्र को बड़ा झटका नहीं लगा है, उल्टे ऐसे नये बाजार खोजने में सफलता मिली है, जहां भारतीय कपड़ों के निर्यात के लिए अच्छी संभावनाएं है।
दीपावली के बाद तेजी पकड़ता वस्त्रोद्योग . . .
03-12-2025
24-11-2025
कपड़ा बाजार में फिर लौटी रौनक कृ
24-11-2025
